आमतौर पर माना जाता है कि किसानी एक जुआ है और यह फसलों के दाने और बारिश पर निर्भर होती है। लेकिन वर्तमान समय में आधुनिकीकरण ने इसे थोड़ा बड़ा कर दिया है। जी हां, हमने अक्सर सोशल मीडिया पर देखा है कि किसी किसान के 4 फीट की लंबी लौकी या 10 किलो का 1 गोभी या 2 फुट की गाजर – मूली की उपज की।
एक ऐसी ही घटना सामने आई है, केरल के मलाप्पुरम की जहा ऐसे मक्के की उपज की गई है, जो बाहर से दिखने में तो सामान्य मक्के की तरह है। लेकिन जब हम उसका छिलका हटा कर देखेगें तो हमारी आंखें खुली की खुली रह जाएंगी। उस मक्के के दानों का रंग इंद्रधनुष जैसा है।
जी हां, तस्वीर देख कर आपको अपनी आंखों पर विश्वास नहीं हुआ होगा। देखने में यह देसी मक्का की तरह है, लेकिन अगर आप इसे छीलेंगे तो रंगों की बाछौर हो जाएगी। सतरंगी मक्के के दाने आपको हैरान कर देंगे। इंद्रधनुष की तरह रंग बिखरने वाले इस तरह के मक्के को ”रेनबो कॉर्न” कहा जाता है। रेनबो कॉर्न आपको अलग-अलग रंगों के दानों के साथ मिलता है। एक ही मक्के में सफेद, पीला, लाल, नारंगी, गुलाबी और काला जैसे कई रंगों वाले दाने होते हैं।
रैंबो कॉर्न की खेती सबसे पहले थाईलैंड में शुरू हुई थी, लेकिन अब इसकी खेती केरल के मलाप्पुरम में भी की जा रही है। इस अनोखे मक्के को कोडुर पेरिंगोट्टुपुलम में अब्दुल रशीद की छत पर उगाया है। वैसे तो इसका स्वाद सामान्य मक्के की तरह ही होता है, लेकिन इसके रंग बिरंगे दाने इसे आम मक्के से अलग बनाते हैं।
रशीद बताते है कि उन्होंने केरल में पहले कहीं भी इस तरह के मक्के के बारे में नहीं सुना। उन्होंने चार किस्में उगाने के लिए प्रयोग किए। जिसमे से उन्होनें दो थाईलैंड से लाए गए थे और अन्य दो किस्म उनके एक किसान दोस्त ने दिए थे। रशीद ने मक्के की खेती के लिए 15000 वर्ग फीट के क्षेत्र का प्रयोग किया। रशीद के मुताबिक इस खेती में धूप से अत्यधिक आवश्यकता है, 50 दिनों के अंदर इसके दानें खिल कर तैयार हो जाते है। एक पौधे से 3 मक्के तैयार किए जाते हैं।
अब्दुल रशीद कुन्नुममल में फलों के थोक व्यापारी हैं। बता दें कि रशीद ने 9 साल पहले फलों का बागान शुरू किया था। वर्तमान में उनके फार्म पर 400 से अधिक फलों की किस्में पाई जाती हैं। अधिकांश फल विदेशी किस्में हैं। अकेले ड्रैगन फ्रूट की लगभग 45 किस्में हैं। उन्होंने रामबूटन और मैंगोस्टीन से शुरुआत की। आज वो अपने एक एकड़ खेत में फलों की खेती करते हैं।
अब तक रशीद फलों की जानकारी और बीज इकट्ठा करने के लिए थाईलैंड, इंडोनेशिया, श्रीलंका समेत 13 देशों की यात्रा कर चुके हैं। इस यात्रा से रशीद उन फलों का चुनाव करते हैं, जो केरल की जलवायु में उगाई जा सकती है। रशीद ने कुछ और देशों का चयन किया है, जिसकी यात्रा वह कोरोना महामारी के खत्म होने की बाद करेंगे।