हाल ही में इंडोनेशिया के मछुआरों की एक दल ने एक ऐसा कारनामा करके दिखाया है। जिसकी हम कल्पना भी नहीं कर सकते। आपको बता दें कि 700 साल पहले एक सोने का द्वीप हुआ करता था। इसका नाम सोने का द्वीप इसलिए पड़ा क्योंकि यहां पर बेशकीमती आभूषण और सोने की भरमार थी। हाल ही में इंडोनेशिया के मछुआरों के एक दल ने सुमात्रा द्वीप पर उसी सोने के द्वीप यानी इंडोनेशियाई साम्राज्य को खोज निकालने का दावा किया है।
इसकी खोज मछुआरों ने तब की जब वह मुसी नदी की सफाई कर रहे थे वहां के मछुआरे 5 साल से पालेमबागं के पास मगरमच्छ की तलाश में थे लेकिन जब वे वहां की सफाई में पानी की काफी गहराई में गए तो वहां पर उन्हें बेशकीमती खजाना रत्न, सोने की अंगूठियां सिक्के और कांसे के कुछ सामान इत्यादि मिले।
श्री विजय सभ्यता दिखती है इस द्वीप में-
मछुआरों को सोने के आभूषण के साथ साथ गहने आभूषणों से सजी हुई भगवान बुद्ध जी की मूर्ति भी मिली है जो कि देखने में काफी रमणीय है। इस मूर्ति की कीमत बहुत ज्यादा बताई जा रही है और यहां जो भी समान मिले हैं वह आठवीं शताब्दी के श्री विजय सभ्यता को दर्शाते हैं। पुरातत्व विभाग का कहना है कि सातवीं शताब्दी और 13वीं शताब्दी के बीच इस द्वीप पर काफी बड़ा साम्राज्य स्थापित था।
यहां की खासियत थी कि यहां पर आभूषण और सोने की वस्तुएं अपार मात्रा में थी। इसीलिए इसे सोने के द्वीप किस सभ्यता कहा जाता है। यह बहुत वर्षों पहले एक रहस्यमय कारण के चलते गायब हो गई थी।
पुरातत्व के विशेषज्ञों का कहना- है यह बड़ी खोज
विशेषज्ञों ने उस मूर्ति की जांच की है और वह मूर्ति 21.5 सेंटीमीटर की है। उस मूर्ति पर एक व्यक्ति वहीं बैठा हुआ है। मछुआरों को एक मणि से निर्मित अंगूठी भी मिली है। जिस पर विशेषज्ञों ने बताया है कि यह एक पवित्र अंगूठी है, जिसे एक पक्षी ने पहना था।
मशहूर पुरातत्वविद ब्रिटिश के रहने वाले डॉक्टर शान किंग्सले ने इस खोज को बहुत बड़ा और महत्वपूर्ण बताया है, उन्होंने श्री विजय सभ्यता की खोज का आधार इस द्वीप को बताया है। यह भी कहा है कि अब हमें इस सभ्यता को जानने का और भी मौका मिलेगा। हम अपनी तरफ से पूरी कोशिश करेंगे कि इस सभ्यता की जानकारी हम पूरे विश्व में फैला सकें और लोगों को बता सकें कि पहले किस सभ्यता कितनी अच्छी और शक्तिशाली थी।