अफगानिस्तान में 20 साल बाद तालिबान की वापसी हो चुकी है और तालिबान के शासन को लेकर महिलाएं काफी विचलित है क्योंकि इसके पहले तालिबान के शासनकाल में महिलाओं पर काफी जुल्म ढाया गया था। महिलाओं पर कई तरह के कड़े प्रतिबंध लगाए हुए थे। इसके चलते उन्हें अनेकों परेशानियों का सामना करना पड़ता था। कुछ ऐसी ही कहानी नादिरा गुलाम की है, जो पिछले 10 साल से एक पुरुष की तरह अपना जीवन बिता रही हैं और इसका कारण है तालिबान, क्योंकि तालिबान के अनुसार उनके देश की महिलाओं को नौकरी करने और पढ़ने की कोई जरूरत नहीं है।
नादिया को अपना घर संभालना था, जिसके लिए उन्हें पुरुष बनना पड़ा। नदिया बताती हैं कि जब वह 8 साल की थी तो उनके घर पर बम गिरा। जिसमें उनके भाई की मृत्यु हो गई और वह बुरी तरह से घायल हो गई। अस्पताल में इलाज के दौरान उन्हें समझ में आया कि हर एक की जिंदगी में संघर्ष है और सबको अपने-अपने संघर्ष के साथ खुद ही अकेले लड़ना पड़ता है।
नदिया ने कहा कि मैं देख रही थी कि हजारों की तादाद में लोग घायल हैं और उनकी स्थिति मुझसे भी ज्यादा खराब है। तब मुझे समझ आया और मैं अपने जिंदगी के संघर्षों से लड़ने के लिए तैयार हूं। 11 साल की उम्र में नादिया ने अपनी आइडेंटिटी को खत्म कर दिया और वह अपने छोटे भाई के तौर पर दुनिया के सामने आ गई। नादिया ने अपने घर के बम हमले के कारण अपने छोटे भाई को खो चुकी थी और उनका परिवार अब उन्हीं के सहारे पर था।
जिनका पालन पोषण करना नादिया के लिए किसी चुनौती से कम नहीं था क्योंकि तालिबान में लड़कियों को नौकरी करने की इजाजत नहीं थी। इसलिए नादिया लड़कों के कपड़े पहन कर काम करने जाया करती थी। कभी भी भूल से भी नादिया अपने आप को लड़की नहीं कहती थी।
नदिया बताती है उन्होंने 10 सालों तक अपने परिवार की आर्थिक मदद पहुंचाने के लिए ऐसा किया और कई बार ऐसा भी हुआ है जब मेरा झूठ सामने आते-आते बचा है। नाजिया स्पेन के कैटालोनिया में अफगानी रिफ्यूजी की तरह के जी रही हैं और अपने जानकारी के हिसाब से न्यूज़ भी लिखती हैं।
अपनी किताब के बाद ही वह काफी चर्चा में आई। तालिबान की अफगानिस्तान पर वापसी पर नादिरा ने कहा कि मैं कई सालों से कहती रही कि तालिबान ठीक नहीं है।