इस दुनिया में अगर बुरे लोग हैं तो अच्छे लोगों की भी कमी नहीं है। कुछ लोग अपनी निजी जिंदगी को किनारे रखकर दूसरों के लिए या इस प्रकृति के लिए अपने जीवन को समर्पित कर देते हैं और ऐसे लोगों को हर साल हमारे देश के राष्ट्रपति द्वारा सम्मानित भी किया जाता है।
हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी हमारे माननीय राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद जी ने 119 लोगों को सम्मानित किया है। जिसमें से 10 लोगों को पद्मभूषण 7 लोगों को पद्म विभूषण तथा 102 को पद्मश्री से सम्मानित किया गया है। यह हमारे देश का कुछ पुरस्कार है। आज हम इन्हीं लोगों में से पद्मश्री पाने वाले तुलसी गौड़ा के बारे में आपको बताएंगे।
जिन्होंने अपने नेक काम से सभी का दिल जीत लिया है और यह बुजुर्ग महिला काफी चर्चा में भी है-
तुलसी गौड़ा का अनोखा जीवन-
तुलसी गौड़ा जी को ‘इनसाइक्लोपीडिया ऑफ फॉरेस्ट’ के नाम से भी जाना जाता है। इस नाम से पुकारे जाने का भी एक बड़ा कारण है क्योंकि कर्नाटका के उमराली गांव में रहती थी और कभी स्कूल नहीं जा पाई क्योंकि बचपन में ही इनके पिता का देहांत हो गया।
अपने माता के साथ वह नर्सरी में ही काम करती थी और इसी से उनका घर चलता था। नर्सरी में रहकर इन्हें सभी पौधों और जड़ी बूटियों का अनोखा ज्ञान हो गया। जिसकी वजह से ही इन्हें इस नाम से बुलाया जाता है।
30 हजार पौधे लगाने पर प्राप्त हुआ पद्मश्री-
इस समय तुलसी जी की उम्र 73 साल है। इतनी बुजुर्ग होने के बाद भी यह वन विभाग के नर्सरी में पेड़ पौधों का अच्छी प्रकार से ख्याल रखती है। यह बचपन से ही पेड़ पौधों की देखभाल कर रहे हैं इसलिए इन्हें पेड़ पौधों से काफी लगाव है। इनको पेड़ पौधों के संरक्षण का कार्य करते हुए 60 साल हो गए लेकिन कभी भी यह अपने इस कर्तव्य का पालन करने से पीछे नहीं हटी और अपने इस उम्र तक इन्होंने 30 हजार से भी ज्यादा पौधे लगाकर दुनिया के सामने मिसाल पेश की है।
इसी पर्यावरण संरक्षण के आधार पर उन्हें राष्ट्रपति द्वारा पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित भी किया गया और उनके इस नेक काम के लिए उन्हें ढेरों बधाइयां भी दी गई। सादगी से रहने वाली तुलसी जी का यह पहला सम्मान नहीं है- इसके पहले भी तुलसी जी को अनेकों पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है और इन्हें पहले भी कई नेता और समाज सुधार को द्वारा सम्मानित किया जा चुका है।
इन्हें इंदिरा प्रियदर्शनी वृक्षामित्र अवॉर्ड्स राज्योत्सव अवार्ड जैसे कई अनेकों अवार्ड से सम्मानित भी किया जा चुका है। इन्हें सादगी से रहना काफी पसंद है। यह आदिवासी क्षेत्र से है तो इन्होंने राष्ट्रपति भवन में अपने आदिवासी पहनावे में ही नंगे पैर पहुंचकर लोगों को सादगी का भी संदेश दिया।