इन सांपों से होता है खतरनाक बीमारियों का इलाज…. चोरी-छिपे विदेशों में होता है सप्लाई…

मेरठ जिले के हस्तिनापुर के गढ़मुक्तेश्वर का इलाका गंगा किनारे खादर क्षेत्र है, जो कृषि क्षेत्र के लिए मशहूरर है। जिसके कारण यहां जीव जंतु बहुताय से पाए जाते हैं। खादन क्षेत्र जहां बड़े पैमाने पर कच्ची देसी शराब बनाई जाती है। वहीं दूसरी ओर खादान क्षेत्र से दो मुंहें सांप ‘रेड सैंड बोआ’ की तस्करी भी बहुताय से की जाती है। ये सांप अंतरराष्ट्रीय बाजार के अलावा दवाई कंपनियों में बड़े पैमाने पर डिमांड में है। दो मुंहें सांपों का प्रयोग दवाई कंपनियां यौनवर्धक दवाइयों को बनाने के लिए करती हैं।

दो मुंहें सांप लाखों में बिकते है
वैसे दो मुंहे सांप कई प्रकार के होते हैं लेकिन मेरठ के खादर में मिलने वाले दो मुंहे सांप हल्के पीले और लाल धारियों वाले होते हैं लेकिन ज्यादा उपयोगी पूरा लाल रंग का दो मुहा सांप होता है। जिसे सपेरे एक ग्रुप बनाकर तलाश करते हैं और इन्हें पकड़ते हैं। इन सांपों को जमीन से खोद कर निकालना पड़ता है। इसीलिए इन्हें ग्रुप में ही पकड़ा जा सकता है।

एक सपेरे ने बताया कि 2 साल पहले उसने लाल रंग का दो मुहा सांप ₹1 लाख 25 हजार में बेचा था। सांप को पकड़ने में पूरे 1 सप्ताह का समय लगा था और उसे 6 लोगों ने मिलकर पकड़ा था। यह सब अपने बचाव के लिए जमीन के काफी नीचे चले जाते हैं जिन्हें पकड़ना काफी मुश्किल होता है। सपेरे ने अपना नाम न बताने की शर्त के बाद ही यह बात बताई।

दवाइयों में उपयोग
सांपों की तस्करी उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश, बांग्लादेश, हरियाणा जैसे राज्यों में होते हैं। सरकार ने 1972 दो मुंहें सांपों को बचाने के लिए अन्य पांच जीवों के साथ इसे भी संरक्षित जीव की श्रेणी में रखा। तब से इसे पकड़ने और मारने पर प्रतिबंध लगाया गया है। इन सांपों का उपयोग यौनवर्धक दवाइयों को बनाने के लिए किया जाता है, लेकिन तांत्रिक क्रियाओं में इसका विशेष रूप से प्रयोग किया जाता है।
इन सांपों की तस्करी केवल एक राज्य से दूसरे राज्य में ही नहीं विदेश चीन और अरब जैसे देशों में भी किया जाता है। एड्स जैसी खतरनाक बीमारी का इलाज भी इससे संभव है।

वन विभाग की पैनी नजर
दो मुंहे सांप अंतरराष्ट्रीय बाजार में पहुंचते ही करोड़ों के हो जाते हैं।इसीलिए इनकी तस्करी ज्यादा होती है। वन विभाग की इनके तस्करी पर काफी पैनी नजर तो रहती है लेकिन फिर भी तस्करी करने वाले सांपों को पकड़ कर उन्हें कम दामों पर बेचकर अपना रोजी बसर करते हैं।
दवाइयों के अलावा इन सांपों के खाल का प्रयोग जूता, पर्स,बेल्ट जैसी चीजों को बनाने के लिए भी किया जाता है।

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