अकन्द सितारा जो यूपीएससी परीक्षा में कुछ अंक से पीछे रह जाने के बाद भी सरकारी सेवा में अपना करियर बनाने में सफल हुए। आज ये कोरा (quora) सेलिब्रिटी हैं, जो सिविल सेवा परीक्षा में भाग लेने वाले हज़ारों युवाओं का मार्गदर्शन कर रहे हैं।
द बेटर इंडिया से बात करते हुए अकन्द बताते हैं, “मैंने पिछले कुछ सालों में बहुत परीक्षाएँ दी हैं। आप कुछ में सफल होते हैं और कुछ में असफल, जैसा कि आम तौर पर ज़िंदगी में होता है। इन्होंने 2013, 2014 और 2015 में सिविल सर्विस की परीक्षा दी, पर कुछ अंकों से पीछे रह गए। लेकिन इसके कुछ ही महीने बाद 2016 में ये गृह मंत्रालय में काम करने लगे।
अकन्द ‘पॉलिसी मेकिंग’ (नीति निर्माण) के क्षेत्र में काम कर लोगों की मदद करना चाहता था। इसी सोच के साथ इन्होंने फिर से सिविल सेवा परीक्षा में शामिल होने का निर्णय लि। मुझे घंटों घूमने या काम पर वक़्त बिताने से अधिक कुछ सीखना पसंद था। फिर मैंने एक कठिन निर्णय लिया और इस लक्ष्य के लिए ख़ुद को समर्पित कर देने के लिए नौकरी छोड़ दी। अपने माता-पिता के सहयोग और सीखने के जुनून के साथ अकन्द आख़िरकार मुख्य परीक्षा में सफल हो गए।
ये बताते हैं मैं परिणाम का इंतज़ार कर रहा था और इस खाली समय का सही तरीके से इस्तेमाल करना चाहता था। यही वो समय था जब मैं कोरा के संपर्क में आया, जो तब धीरे-धीरे लोगों के बीच प्रचलित हो रहा था। तब मैंने सोचा कि अपने लिखने के अभ्यास और महत्वपूर्ण मुद्दों पर विचार रखने के साथ अपनी जानकारी को साझा करने के लिए यह सही मंच है। शिक्षा, राजनीति और तेल उद्योग जैसे विषयों पर अकन्द ने लिखना शुरू किया। महीने के भीतर ही इनके क़रीब 1000 फॉलोअर बन गए।
2015 में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की परीक्षा और भारतीय इंटेलिजेंस ब्यूरो में शामिल होने के लिए परीक्षा देने वाले अकन्द बताते हैं मैं लक्ष्य के बहुत क़रीब था, पर चूक गया। मुझे पता था कि फिर से कोशिश करनी पड़ेगी। मेरा आत्मविश्वास खो रहा था। मैंने ख़ुद से बस इतना कहा कि यही एकमात्र रास्ता है और यहीं से मैंने अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं के विकल्पों को तलाशना शुरू किया। जिससे मुझे देश के लिए काम करने का अवसर मिल सके।
ये इंटेलिजेंस ब्यूरो (आईबी) की परीक्षा में सफल हो गए और जल्द ही असिस्टेंट सेंट्रल इंटेलिजेंस ऑफिसर (ACIO) के पद पर नियुक्त हो गए। 3 महीने लंबी चली प्रक्रिया के बाद आख़िरकार मई 2016 में इन्हें आईबी में नौकरी मिली। इसके साथ ही इन्होंने कोरा में अन्य विषयों के साथ अपने इस सफ़र के बारे में लिखना जारी रखा।