झारखंड मानव तस्करी के मामले में सबसे आगे माना जाता है यहां हर साल न जाने कितने हैं लड़कियों की तस्करी होती है। झारखंड के संताल परगना में मानव तस्करी की जड़े बड़ी मजबूत है। ऐसी एक आदिवासी गांव की एक दास्ता सामने आई है। जहां 14 साल की बच्ची को बेच दिया गया।
लखीमपुर गांव में रंजीत सोरेन ने 14 साल की नाबालिक लड़की को दिल्ली ले जाकर बेच दिया। ₹5000 पर काम दिलाने का प्रलोभन देकर उस लड़की को दिल्ली तक ले गया था और उसे बेच दिया। कापरे को एक के बाद एक नए मालिक मिलते गए। इस लड़की के अंतिम मालिक के परिवार को कापरे बास्की नामक लड़की पर दया आ गई और उसने कापरे के घर का पता पूछा और साहिबगंज भिजवा दिया। 10 साल बाद का कापरे घर पहुंची, तो परिवार बहुत खुश हैं।
10 साल परिवार और अपने गांव से दूर रहने के कारण कापरे अपने गांव मुहल्ले में किसी को नहीं पहचानती है। पीड़िता के भाई का कहना है कि उसकी बहन स्थानीय भाषा बोलना भूल गई है। अब इसे फिर से यह सिखाया जा रहा है। भाई का कहना है कि इसके आने से घर में खुशियां लौट गई हैं। वह कापरे के साथ दिल्ली गई सागर सोरेन की बेटी आज तक घर वापस नहीं लौटी।
बिहार में आज भी लड़कियों को काम के अच्छे पैसे दिलाने का झांसा देकर लोग लड़कियों को दूसरे शहर ले जाकर बेचने का धंधा करते हैं।
गांव से कापरे के साथ और भी लड़कियां गई लेकिन आज तक कोई नहीं लौटीं है। सबके मालिक कापरे के मालिक की तरह नहीं होते हैं।