आपने तो अलग-अलग पर्वों पर कई प्रकार के मेले देखे होंगे सभी मेलों में आपने कपड़े जूते चप्पल और हमारे रोजमर्रा के सामान इत्यादि ही देखे होंगे। लेकिन क्या आपने कभी गधों के मेलों के बारे में सुना है?
जी हां गधों का मेला।
यह मेला उत्तर प्रदेश के चित्रकूट में हर वर्ष दीवाली के उपलक्ष में आयोजित किया जाता है और इसमें अत्यधिक मात्रा में गधे और खच्चरों की बोली लगाई जाती है। हैरान कर देने वाली बात तो यह है कि यहां पर उत्तर प्रदेश के साथ-साथ अन्य प्रदेशों के भी लोग बोली लगाने आते हैं।
यहां की प्रसिद्धि इतनी ज्यादा है कि यहां पर हमारे पड़ोसी देश नेपाल के लोग भी बोली लगाने आते रहते हैं। इस मेले की खास बात यह है कि आपको हर प्रकार के नस्ल के गधे और खच्चर देखने को मिलेंगे। सभी अपने अपने गुण के हिसाब से अधिक बोली पर बिकते हैं। इस साल सबसे अधिक बोली गधे पर लगाई गई है। इस गधे का नाम ‘दीपिका’ है। इस गधे पर 1 लाख 25 हजार की बोली लगी है।
क्यों है ये मेला इतना खास-
यह मेला उत्तर प्रदेश के चित्रकूट में लगाया जाता है और यह 5 दिनों का मेला होता है, जो कि केवल दीवाली के शुभ अवसर पर ही लगाया जाता है। यह मेला मंदाकिनी तट पर लगने वाला सबसे बड़ा मेला है। गधे को खरीदने और बेचने के लिए यूपी, झारखंड, बिहार, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश तथा हमारे पड़ोसी देश नेपाल के लोग भी आते हैं।
आपको बता दें कि यह मेला औरंगजेब के शासन से ही लगाया जा रहा है। दरअसल इसकी शुरुआत महाराज औरंगजेब ने हींश करवाई थी।इसके पीछे का यही कारण है कि उनकी सेना में घोड़े और जानवरों की कमी होने के कारण उन्होंने इस अनोखे मेले की शुरुआत की।
गधे बेचकर होता है करोड़ों का कारोबार-
गधों का कारोबार इतना बड़ा होता है कि इसमें सभी प्रकार के गधों और नस्लों की खरीदारी की जाती है और सभी प्रकार के नस्लों को बेचा जाता है। यहां के व्यापारी भी बहुत बुद्धिमान होते हैं। वह ऐसे बिजनेस का तकनीक लगाते हैं कि उनकी गधे तुरंत बिक जाते हैं। वह अपने गधों का नाम फिल्मी सितारों के नाम पर रखते हैं। जैसे सलमान शाहरुख, अमिताभ आदि जिससे कि लोग आकर्षित होकर उन्हें तुरंत खरीद लेते हैं। बताया जा रहा है कि 2 दिनों में ही इन्होंने 9000 से भी ज्यादा गधे बेच दिए और उससे लगभग 20 करोड़ की कमाई हो गई।