एक बड़ी सफलता प्लास्टिक के कचरे से मिलेगा अब पेट्रोल, बिहार ने बनाया एक कीर्तिमान टेक्नोलॉजी

Now petrol will get a big success from plastic waste

आपको तो पता ही है कि लगातार पेट्रोल के दाम बढ़ते चले जा रहे हैं। पेट्रोल इतना महंगा होता जा रहा है कि एक आम आदमी के लिए इसे खरीदना काफी मुश्किल होता जा रहा है। तो इस समस्या से बचने के लिए बिहार में एक गजब के टेक्नोलॉजी का इजाद किया है।

अगर आप भी इसके बारे में सुनेंगे तो एक बार आपको भी जरूर लगेगा कि यह एक मजाक ही है। लेकिन ऐसा कुछ नहीं है बिहार के मुजफ्फरपुर में प्लास्टिक और कचरे से पेट्रोल बनाने का प्रोडक्शन शुरू हो गया है। इस मशीन में आप एक तरफ से प्लास्टिक डालेंगे तो दूसरी तरफ से पेट्रोल निकलने लगेगा।

आपको तो पता ही है कि इस समय पेट्रोल के दाम लगभग ₹100 के आसपास है तो आप इसमें केवल ₹6 के प्लास्टिक के कचरे डालेंगे और ₹100 के पेट्रोल प्राप्त करेंगे। यह कितनी बड़ी उपलब्धि है कि इसका कोई अंदाजा भी नहीं लगाया जा सकता है। बढ़ते हुए पेट्रोल के दाम आसमान छू रहे हैं। यही परेशानी से निजात दिलाने के लिए बिहार के द्वारा यह अद्भुत इन्वेंशन किया गया है।

जब किया भूमि सुधार मंत्री ने इसका उद्घाटन-

बिहार के जिले कुड़नी के खरौना में प्लास्टिक के कचरे से पेट्रोल बनाने का प्रोडक्शन लगातार चल रहा है। इसके प्लांट का उद्घाटन राजस्व और भूमि सुधार मंत्री रामसूरत राय ने किया है। वह अपने राज्य के इस बड़ी उपलब्धि से काफी खुश हैं। उन लोगों की काफी सराहना भी कर रहे हैं जो कि इस टेक्नोलॉजी को बनाने में सफल हुए।

मंत्री जी ने जब उद्घाटन करके उस मशीन में कचड़े डालें तो उसमें से लगभग 10 लीटर डीजल निकला। वहां के लोगों का गौरव और उत्साह बढ़ाने के लिए उन्होंने तुरंत व डीजल खरीद लिया। यह सब महज एक सपना ही लग रहा था लेकिन बिहार में इस सपने को सच करके एक मिसाल कायम की है।

सीईओ ने बताई महत्वपूर्ण जानकारी-

इस प्लांट के सीईओ आशुतोष मंगलम ने बताया कि हम इस प्लांट को बनाने में कामयाब हो गए और हम लोग हर दिन 200 किलो प्लास्टिक के कचरे से लगभग 130 लीटर पेट्रोल और 150 लीटर डीजल बना रहे हैं। उनसे इस प्रोसेस के पूछे जाने पर उन्होंने बताया कि इस प्रोसेस में हम लोग सबसे पहले कचरे को ब्यूटेन में बदलते हैं, फिर उसके बाद ब्यूटेन को आइसोऑक्टेन में बदला जाता है। अलग-अलग तापमान के प्रेशर देने के बाद यह डीजल और पेट्रोल में परिवर्तित होता है।
हम इस पूरी प्रक्रिया को 8 घंटे के समय में पूर्ण करते हैं और देहरादून के इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ पेट्रोलियम में पेट्रोल और डीजल का ट्रायल भी चल रहा है।

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