कौवा का नाम सुनते ही दिमाग में काला रंग ही आता है। इसीलिए शायद लोग बोलते भी हैं कि झूठ बोले काला कौवा काटे, लेकिन सफेद कौवा सोचकर ही बड़ा अजीब सा लगता है। क्या आपने सफेद कौवा कभी को देखा है। हमारे आसपास काला कौवा ही नजर आता है और इस काले कौवे को लोग अशुभ मानते हैं।
लेकिन सफेद कौवा कम ही होता है और जिसे अशुभ नहीं माना जाता है। मध्य प्रदेश के दतवाड़ा में सफेद कौवे को देखा गया। सफेद कौवा भी काले कौवे जैसा ही होता है। लेकिन अनुवांशिक दोष के कारण सफेद हो जाता है। दुनिया में कौवे की ऐसी कई प्रजाति है जिनके शरीर पर सफेद धब्बा होता है।
पौराणिक मान्यताओं की बात की जाए तो सफेद कौवे से काले कौवे की कहानी अलग है। कहा जाता है कि काफी समय पहले एक ऋषि ने सफेद कौवे को अमृत का पता लगाने भेजा था और आदेश दिया था कि वह सिर्फ अमृत की जानकारी लेकर आए। उसे पीने के लिए मना किया। सालों की मेहनत के बाद सफेद कौवे ने अमृत ढूंढा। इतनी मेहनत करने के बाद उसने उस अमृत को पी लिया। जिसके बाद उसने साधु को यह जानकारी दी।
जिसके बाद कौवे से साधु नाराज हुए और उन्होंने श्राप दिया कि वचन भंग करके उसने पवित्र अमृत को झूठा कर दिया है। जिसके लिए उससे लोग घृणा करें और अशुभ मानते हुए, सबसे उसकी बुराई करें। साधु ने अपने कमंडल के पानी को कौवे के ऊपर छिड़क दिया। जिससे कौवे का रंग काला पड़ गया और तब से श्राॅप के कारण काला ही है।