अजीबोगरीब जीव में से एक है। ऑक्टोपस जिसके अन्दर कई खासियत होती है। जिस तरह से इंसानों में मस्तिष्क होता है। लेकिन अॉक्टोपस के पास मस्तिष्क तो जरूर होता है। लेकिन यह दिमाग उनके पास केवल एक ही नहीं बल्कि 9 होता हैं।
आज जानते हैं अॉक्टोपस की खासियत के बारे में
खून का रंग नीला और सेकंडो में बदल लेता है अपना रंग
कुदरत के इस अनोखे से जीव में बहुत सारी खासियत होती है। उनमें से एक है उसका रंग रुप जो काफी चर्चा में रहता है। अॉक्टोपस के पास नौ मस्तिष्क होने के साथ ही आठ भुजाएं भी होती हैं। ऑक्टोपस के खून का रंग अन्य जानवरों के खून के रंग जैसा लाल नहीं होता है बल्कि नीले रंग का होता है। वैज्ञानिकों के अनुसार ऑक्टोपस कलर ब्लाइंड होता है। बावजूद इसके वह 0.3 सेकेंड से कम समय में खुद का रंग बदल सकता है।
3 दिल होता है ऑक्टोपस के पास
कई प्रजाति के ऑक्टोपस अपना आकार भी बदल लेते हैं। यह छोटी से छोटी जगह से भी निकल सकते हैं। ऑक्टोपस के 3 दिल होते हैं और तीनों का अपना अलग-अलग काम होता है। इनमें से एक पूरे शरीर में खून पंप करता है तो दूसरा ऑक्सीजन रहे खून को पूरे शरीर से इकट्ठा करके उसे दोनों गिल्स और सिस्टमिक दिल तक पहुंचाता है।
ऑक्टोपस के 9 दिमाग किस काम आते हैं?
सभी यही सोचते होंगे कि एक मस्तिष्क तो सभी के पास होते हैं। लेकिन अगर ऑक्टोपस के पास 9 दिमाग है तो काम क्या करते हैं?ऑक्टोपस का भी एक ही मस्तिष्क सोचने, समझने और खत्म होने पर तत्काल फैसला लेने का काम तो करते ही हैं। लेकिन बाकी के 8 मस्तिष्क मुख्य मस्तिष्क के सहायक होते हैं और यह आठों भुजाओं में होते हैं। सभी भुजाएं इन्हीं मस्तिष्क से कंट्रोल होती हैं। कई बार मुख्य मस्तिष्क के कहने पर सभी भुजाएं काम भी करती हैं।
आखिर खून का नीला रंग क्यों?
ऑक्टोपस का खून लाल नहीं बल्कि नीला होता है। ऑक्टोपस के खून में कॉपर यानी तांबे के साथ साइन ऑफ ग्लोबिन होता है। जो इंसानों के खून की तरह ही काम करता है। तांबे की वजह से ऑक्टोपस का खून नीला होता है। लेकिन ऑक्टोपस जल्दी थक जाते हैं क्योंकि आयरन के मुकाबले ऑक्टोपस के खून में मौजूद तांबा में ऑक्सीजन के प्रवाह कमजोर होते हैं।