हरियाणा में झज्जर के मातन हेल गांव के रहने वाले 44 वर्षीय कुलदीप सुहाग और उनके घर के सभी बच्चे पढ़ाई के साथ ही उनका खेतों में हाथ भी बढ़ाते हैं। कुलदीप ने द बेटर इंडिया को बताया कि मैंने पिछले साल 2 एकड़ जमीन पर जैविक खेती शुरू की थी। पहले साल मुझे काफी नुकसान भी हुआ।
तब मुझे जैविक खेती की समझ कम थी। जैविक खेती में मेहनत ज्यादा है, इसलिए हमें मजदूरों से भी काम कराना पड़ा। हमारा खर्च बढ़ गया और हमें पहले साल नुकसान हुआ। लेकिन जब परिवार ने साथ दिया तो मुझे इसमें सफलता मिली। कुलदीप ने बताया कि वह दसवीं तक की पढ़ाई किए हैं। कुलदीप ने 2 एकड़ जमीन पर मौसमी सब्जियों की जैविक खेती शुरू की ग्रेवाल ने उन्हें इसके लिए बहुत कुछ सिखाया।
घरवालों के साथ और हौसले से मिलकर उन्होंने एक बार फिर जैविक खेती कर खेतों में टमाटर दो किस्म की, शिमला मिर्च, ककड़ी, खीरा प्याज, लहसुन, तरबूज की खेती शुरू की सब्जियों को उन्होंने कम मात्रा में उगाया और उन्हें चार-पांच महीनों में ही फसल से ढाई लाख रुपए का मुनाफा हुआ।
कुलदीप की मदद उनके बच्चे भी करते हैं। उनका बेटा जतिन ग्रेजुएशन में पहले वर्ष का छात्र है और उनकी बेटी पायल और बेटा अर्जुन अभी स्कूल में पढ़ रहे हैं। स्कूल के पढ़ाई के साथ ही वह अपने पिताजी की मदद खेती में करते हैं। बच्चों ने एक रूटीन बना लिया है कि पढ़ाई खत्म होने के बाद घर में पिताजी की मदद कर बच्चे सुबह शाम दोनों समय कुलदीप की खेत में मदद करते हैं। यह बच्चे को देखकर मदद करने के साथ गांव के अन्य लोगों को भी जैविक खेती के विषय में बताते हैं।
कुलदीप कहते हैं कि उनकी मदद बच्चे करते हैं, जो बच्चे दिन भर फोन लगे में लगे रहते हैं लेकिन अब उन्हें इसकी कोई चिंता नहीं है क्योंकि उनके बच्चे पढ़ाई के तुरंत बाद खेतों में उनकी मदद के लिए चले जाते हैं।