पढ़ाई को लेकर माता-पिता बच्चों में इतना ज्यादा भय बना देते हैं कि अगर रिजल्ट फेल वाला आया तो बच्चे घर जाने से भी डर जाते हैं। ऐसा ही हुआ। एक 13 वर्षीय बच्चे के साथ जो परीक्षा में फेल हो गया और वह पिता के मार से बचने के लिए मुंबई भाग आया। यहां पर उसने एक कैंटीन में बर्तन धोने का काम किया। जिससे उसका जीवन यापन हो सके यह बच्चा अपनी मेहनत से वहीं पर वेटर और वेटर से मैनेजर मैनेजर के बाद खुद का अपना बिजनेस खड़ा कर दिया।
आज देश ही नहीं विदेशों में इनका बिजनेस फैला हुआ है 172 करोड़ का इन्होंने अपना साम्राज्य स्थापित किया है और ऐसा कर पाना उनके लिए इतना आसान नहीं था। कर्नाटक के एक छोटे से गांव कर कला के जयराम बनान जिन्हें एक छोटी सी गलती के लिए घरवालों से बुरी तरीके से पीटे जाने और आंखों में विस्तृत जाने की परेशानी को झेलना पड़ा था अपने परिवार की क्रूरता की वजह से जब वह फेल हुए तो चुपचाप घर से मुंबई आ गया। अपनी मेहनत के बल पर वे एक रेस्टोरेंट के मैनेजर बन गया। फिर इन्होंने साउथ इंडियन खाने का खुद का एक दुकान दिल्ली में खोला।
उन्होंने दिल्ली के डिफेंस कॉलोनी में सागर नाम से अपनी दुकान खोली। जहां पहले दिन की कमाई ₹470 हुए। इन्होंने गुणवत्ता वाली भोजन सबके सामने परीसी और जिसका परिणाम यह हुआ कि दूसरे सप्ताह से ही सागर का डोसा के लिए लंबी लाइनें लगने लगे।
4 साल बाद इन्होंने लोधी मार्केट में एक शॉप खोली। जिसने इनके लिए आगे बढ़ने का एक सफल रास्ता शुरू कर दिया और उन्होंने सागर में रत्न जोड़कर, सागर रत्न कर दिया।
सागर रत्न की आज 30 शाखाएं उत्तर भारत में फैली हुई है। नॉर्थ अमेरिका, कनाडा, बैंकॉक और सिंगापुर में भी सागर रत्न की वैल्यूएशन 172 करोड़ है।
जयराम ने इतना कुछ पाने के बाद भी, वे अपनी कर्मचारियों का बहुत ध्यान रखते हैं और उनकी पूरी जरूरतों का ख्याल रखते हैं।
जयराम ने साबित कर दिया कि कठिन परिश्रम और निश्चय से आप फर्श से अर्श पर पहुंच सकते हैं।