इस मशीन को बनाने वाले बीड इलाके के किसान मोहन लांब को नेशनल इनोवेशन फाउंडेशन से पुरस्कार भी मिल चुका है। फिलहाल, मोहन इस मशीन को अपने स्टार्टअप के जरिए ग्राहकों तक पहुंचा रहे हैं। कुछ नया करने की सोच ने उनके दिमाग में गोबर उठाने की मशीन का ख्याल आया ऐसी मशीन मशीन बनाने की प्रेरणा उनके घर में गठित एक प्रेरणा से मिली।
साल 2014 में मैंने ऐसी मशीन के बारे में सोचा और काम शुरू किया। इसकी बड़ी वजह मेरे परिवार में घटी एक घटना थी। दरअसल मेरी एक भतीजी को शादी के बाद ससुराल में परेशानी होने लगी। इसका मुख्य कारण था कि ससुराल वाले गाय-भैंस रखते थे और उनके घर की महिलाओं को उनका सभी काम करना पड़ता था। लेकिन हमारी बेटी को गोबर उठाने में बहुत परेशानी होती थी और इसी कारण बात इतनी बढ़ गयी कि कोर्ट-कचहरी का चक्कर पड़ गया। तब मुझे लगा कि गोबर उठाना भी बहुत बड़ी समस्या है और इसके लिए कोई मशीन होनी चाहिए।
मोहन ने कहा, “मुझे स्प्रेयर के लिए पहले ही नेशनल इनोवेशन फाउंडेशन से पुरस्कार मिला था। इसलिए इस बार भी अपनी रिसर्च करने के बाद नेशनल इनोवेशन फाउंडेशन को गोबर उठाने वाली मशीन का आईडिया भेजा।
बैटरी से चलती है यह मशीन
मोहन ने मशीन के बारे में बताया कि यह एसी और डीसी, दोनों मोटर के साथ काम कर सकती है। बैटरी लगाने के बाद मशीन का वजन 60 किलो हो जाता है और बैटरी के बिना 50 किलो है। उनका दावा है कि यह मशीन एक मिनट में 40 किलो गोबर को इकट्ठा करती है। मशीन में प्लास्टिक क्रैट रखने की जगह है, जिसमें गोबर इकट्ठा होता रहता है।