भारतीय इतिहास में आपको राजा महाराजाओं की कहानी और उनके शूज वीरता और साहस की कहानियां सुनने को मिल जाएगी उस समय के राजा महाराजा इतने बुद्धिमान होते थे कि वह अपने किलो को इस प्रकार से और ऐसे स्थान पर बनवाते थे। जहां पहुंचने में लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता था और किलो में कुछ ऐसे गुप्त सुरंग बनवाते थे जो आपातकाल में उनके परिवार और प्रजा को सुरक्षित किले से बाहर निकाल कर सुरक्षित स्थान पर ले जा सके। ऐसे ही गोलकोंडा का किला भी अपनी गुप्त सुरंगों के लिए मशहूर है आइए जानते हैं इस किले के निर्माण के बारे में
गोलकोंडा का किला हैदराबाद के पश्चिम क्षेत्र में हुसैन सागर झील से लगभग 9 किलोमीटर दूर स्थित है इस किले का निर्माण 1143 में पहाड़ के ऊपर कराया गया था।
किले से जुड़ा इतिहास
गोलकोंडा का किला शुरू में मिट्टी से बनाया गया। यह किला काकतीय राजा द्वारा बनवाया गया था
कुतुबशाही राजाओं का इस किले पर राज था और यह उन राजाओं की राजधानी भी थी। जिस स्थान पर गोलकोंडा का किला स्थित है। वहां पर एक चरवाहे को एक मूर्ति मिली थी और उसी ने काकतीय राजाओं को इस स्थान की पवित्रता के बारे में बताया। जिसके बाद यहां मिट्टी का किला बना राजाओं के बाद बहमनी राजाओं ने इस किले पर कब्जा किया और बाद में यह कुतुबशाही राजाओं के अधिकार में हो गया और इन्हीं राजाओं ने इसे ग्रेनाइट किले में तब्दील कर दिया।
मान्यता
माना जाता है कि इस किले के तल से अगर कोई ताली बजाता है तो यह 1 किलोमीटर दूर हिसार गेट पर सुनाई देता है। इसी वजह से इसे तालियां मंडल भी कहा जाता है। गोलकुंडा किले में 8 दरवाजे, चार ड्रॉब्रिज, मस्जिद, तोप, शाही कमरें आदि हैं। हिसार गेट किले का मुख्य द्वार है।
रहस्यमयी सुरंग
रिपोर्ट के अनुसार गोलकोंडा से एक सुरंग चारमीनार को जाती है। इसमें गुप्त सुरंग कितनी सत्यता है यह अभी तक पता नहीं चल पाया है। हां इस सुरंग को लेकर बताया जाता है कि सुल्तान मुहम्मद कुतुबशाह ने इसे शाही परिवार को विकट परिस्थिति में सुरक्षित स्थान पर निकालने के लिए बनवाया था।
हीरे की खान
गोलकोंडा अपने हीरो की खान के लिए भी मशहूर है। विश्व का सबसे कीमती हीरा कोहिनूर यहीं से निकाला गया था। गोलकुंडा के किला में सिर्फ एक हीरे की नीलामी लगभग 15 करोड़ रुपए में हुई थी। यह जानकारी बीबीसी ने दी थी।