कहीं होती है कोबरा सांपों की पूजा तो, कहीं घरों में नहीं लगे हैं कुंडी ऐसे हैं भारत के 9 अनोखे गांव

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भारत की बात की जाए तो यहां पर हर राज्य में आपको कुछ अलग कला और संस्कृति मिल जाएगी। भारत के राज्यों में बहुत सारे ऐसे राज्य है। जिनकी अपनी एक रोचक कहानी लोगों के बीच मशहूर है आइए हम भी जानते हैं कुछ ऐसे ही मशहूर गांव के विषय में जहां

शेटफळ, महाराष्ट्र
पुणे से लगभग 200 किलोमीटर दूर सोलापुर जिले में मसूरिया गांव कोबरा सांप के लिए मशहूर है। यहां कोबरा सांप का हर घर में स्थानीय निवास होता है। गांव वाले इन सांपों की रोज पूजा भी करते हैं। सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि यह कोबरा सांप किसी भी गांव वालों को कोई नुकसान नहीं पहुंचाता है।

हिवरे बाजार, महाराष्ट्र
एक समय यह गांव गरीबी और सूखे से परेशान था तो आज इस गांव में करोड़पतियों का निवास है। 12 सौ से अधिक आबादी वाले इस गांव में 80 से ज्यादा करोड़पति होंगे। इस गांव में पानी और हरियाली की कोई कमी नहीं है।

शनी शिंग्नापुर महाराष्ट्र
महाराष्ट्र के इस गांव में किसी के घर में दरवाजा नहीं है। यह सुनकर सबको आश्चर्य हो जाता है। यहां पर आने वाले लोग गेस्ट हाउस में ही रुकते है, लोगों का मानना है कि भगवान शनि इस गांव के रक्षक है और उनके होते हुए चोरी संभव ही नहीं है, अगर कोई चोरी करता है तो वह गांव से बाहर नहीं जा पाता है। भगवान शनि के दर्शन के लिए इस गांव में देश भर से लोग ते हैं

जबूर, गुजरात
गुजरात का अफ्रीका के नाम से मशहूर ‘गिर’ जंगल के बीच बसे जबूर गांव में आदिवासी जनजाति सिद्दी रहती है, जोकि मूल रूप से अफ्रीका के बनतु समुदाय से संबंध रखते है। अफ्रीकी रीति-रिवाज की छाप छोड़ता यह गांव हमेशा से लोगों के आकर्षण का केंद्र रहा है।

पुंसारी, गुजरात
साबरकांठा में बसा पुंसारी एक आदर्श गांव है। यहां पर 6000 लोगों के लिए घर-घर में शौचालय, प्राथमिक विद्यालय, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, स्ट्रीट लाइट, जल निकासी की व्यवस्था के साथ इसे गांव में इंटरनेट और सीसीटीवी कैमरे का भी पूरा पूरा एग्जाम है। इस गांव में दिन और रात का पता ही नहीं चलता है।

कोडिन्ही केरल
केरल का कोडिन्ही गांव अपने आप में ही बहुत ही विचित्र और रहस्यमई है क्योंकि यहां पर देश के सबसे अधिक जुड़वा बच्चे पैदा होते हैं। इसलिए से जुड़वा बच्चों का गांव भी कहा जाता है। रिपोर्ट के अनुसार इस गांव में दो हजार आबादी रहती है जिसमें से 400 जोड़े जुड़वा बच्चे ही हैं। इसके पीछे का कारण अभी तक वैज्ञानिक नहीं लगा पाए हैं और वह खुद इस विषय पर आश्चर्यचकित हैं।

कलायूर पुडुचेरी
यह गांव अपनी कुकिंग प्रतिभा को लेकर प्रसिद्ध है इसलिए इस गांव विलेज ऑफ कुक्स नाम से भी जाना जाता है और यह गांव पुडुचेरी के लगभग 30 किलोमीटर की दूरी पर है। इस गांव के लगभग सभी परिवार में एक न एक बावर्ची जरूर है जो कि पुरुष ही है।

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बरवा काला, बिहार
बिहार में कैमूर पर्वत के पास बसा बरवा काला गांव, ‘कुंवारों के गांव’ के नाम से भी जाना जाता है। इस गांव में 121 लोग अभी भी कुंवारे हैं। इस गांव में शादी के ना हो पाने का कारण पर्याप्त सुख सुविधाओं की बहुत कमी है। जिसकी वजह से लोग अपनी बेटी का इस गांव में विवाह करना सही नहीं मानते हैं।

मावलिननॉन्ग, मेघालय
मावलिननॉन्ग गांव की पहचान वहां की साफ-सफाई है। 2003 से लगातार यह एशिया महाद्वीप का सबसे ‘स्वच्छ ग्राम’ चुना जा रहा है। एक वक्त में मावलिननोंग महामारियों की चपेट में हुआ करता था, मगर यहां के लोगों ने अपनी किस्मत खुद बदली और अपने गांव को एक आदर्श गांव के रूप में स्थापित कर दिया।

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