मंदिर वह स्थान है जहां लोग पूजा करने आते हैं। पाकिस्तान के हैदराबाद के फलीली इलाके में लड़के लड़कियां कंधे पर बैग लिए हुए मंदिर की ओर रोज सुबह सुबह जाते हैं। लेकिन वह पूजा करने नहीं बल्कि पढ़ने जाते हैं। दरअसल वहां इस मंदिर को एक स्कूल में बदल दिया गया है।
सोनारी बागड़ी अपने परिवार की पहली मैट्रिक पास महिला है। जिन्होंने खुद को बच्चों को शिक्षित करने के लिए समर्पित कर दिया है। वैसे तो बागड़ी कबीले के लोग मजदूरी करके अपना गुजर-बसर करते हैं। क्योंकि बागड़ी खानाबदोश कबीला है। लेकिन अब ये एक समूह बनाकर कबीले के रूप में रहते हैं। बागड़ी आज भी अनुसूचित जाति का माना जाता है। आज भी इन्हें घृणा और नफरत का शिकारी होना पड़ता है।
लेकिन सुनारी बागड़ी इन सब चीजों से दूर अपने शिक्षा का इस्तेमाल कर अन्य मशहूर बच्चों को शिक्षित कर रही हैं। शादी के बाद उन्होंने बच्चों को शिक्षित करने का फैसला किया है। इसके लिए उन्होंने बड़े बुजुर्ग से विचार-विमर्श कर मंदिर में ही बच्चों को पढ़ाने का काम शुरू किया। शुरू में इस स्कूल में केवल तीन ही लड़कियां आती थी।
जिसमें दो बेटियां सोनारी की ही थी। वर्तमान समय में अब यहां 40 से अधिक बच्चे पढ़ रहे हैं। सोनारी ने बताया कि लड़कियों को पढ़ने के बाद तो बड़ी दूर यहां लड़कों को भी पढ़ने नहीं दिया जाता है। लेकिन जब सोनारी कक्षा चार में थी, तभी उन्होंने मन में ठान लिया था कि वह और इधर घूमने वाले बच्चों को शिक्षित करेंगी ताकि उनका भी स्तर और बढ़े और उनकी इस नेक सोच में यह मंदिर है उनका सहारा बना हुआ है