भारतीय देश के चौथे सबसे बड़े नागरिक पुरस्कार पद्मश्री से सम्मानित मंजम्मा जोगती की खूब चर्चा हो रही है। पद्मश्री प्राप्त करने के बाद जोगती दिन अपने जीवन के बेहद ही खास पहलुओं को बताया। बहुत कम ही लोगों को पता होगा कि जोगती 15 साल की थी, तभी उनके परिवार ने उन्हें ट्रांसजेंडर होने के कारण घर से निकाल दिया था।
इंडिया टुडे को एक इंटरव्यू देते हुए जोगती ने बताया कि घर से निकाले जाने के बाद उनके सामने सबसे बड़ी समस्या थी, जीवित रहने की। जिसके लिए उन्होंने सड़कों पर भीख मांगने का काम शुरू किया, उन्हें बार-बार यौन उत्पीड़न का भी सामना करना पड़ा। जिसके वजह से एक बार जहर पीकर आत्महत्या करने का भी उन्होंने प्रयास किया।
जोगती बताती हैं कि जहर पीने के बाद भी वह बच गई। उनके परिवार में 20 भाई-बहन के अलावा भी और सदस्य थे उनमें से किसी ने भी उन्हें हॉस्पिटल में देखने नहीं आए।
मंगलवार को उसी जोगती को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने भारत के चौथे सबसे बड़े नागरिक पुरस्कार पद्म श्री से सम्मानित किया। यह पुरस्कार कला में उनके योगदान के लिए उन्हें दिया गया। वहीं राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को जोगती एक अनोखे तरीके से शुभकामनाएं देते हुए देखी जा सकती हैं।
आखिर कैसे बदला जोगती का जीवन
जोगती ने इंटरव्यू में बताया कि मैं जिंदा रहने के लिए एक लोक नृत्य करना सीखा। धीरे-धीरे जोगती इसमें इतनी निपुण हो गई कि कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा ने उन्हें कला प्रदर्शन के लिए एक सरकारी निकाय कर्नाटक जनपद अकादमी का अध्यक्ष नियुक्त किया।
जोगती उस अकादमी का नेतृत्व करने वाली पहली ट्रांसजेंडर है। जोगती ने बताया वह अपने पुरस्कार के माध्यम से सरकार को ट्रांसजेंडर समुदाय के अधिकारों को पहचानने और उन्हें नौकरी और शिक्षा प्रदान करने के लिए प्रोत्साहित करना चाहती हैं।
जोगती ने किया ट्रांसजेंडर बच्चों के लिए अपील
जोगती ने लोगों से अपील की कि परिवार वाले मेरे जैसे बच्चों को स्वीकार करें। उन्हें अनदेखा या फिर किसी कूंड़े में ना छोड़े। राष्ट्रपति को शुभकामनाएं देने को लेकर जब जोगती से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि मैंने उनसे कहा कि वह 2 दिनों से इस समारोह का आयोजन कर रहे हैं मैं उन बुरी नजरों को हटा दूंगी, जो शायद डाली गई है। इसके जवाब में उन्होंने धन्यवाद कहा