देश की सबसे कठिन परीक्षा में से एक माना जाता है, यूपीएससी की परीक्षा को और इसकी तैयारी कर रहे तो व्यक्ति को केवल पढ़ाई की ही चिंता होती है। लेकिन ऐसा नहीं है कि कई केवल पढ़ाई की चिंता हो और आप पढ़ने जाए। ऐसे कई लोग हैं जिन्हें अपनी परिस्थिति का भी तनाव रहता है और इस तनाव के बीच भी वह अपनी पढ़ाई की बदौलत इस कठिन परीक्षा को भी पार करते हैं। ओम प्रकाश गुप्ता जिनके जीवन की परेशानियों ने उन्हें आगे बढ़ने का हौसला दिया और आज वह आईपीएस बन गए हैं।
पिता का था किराना दुकान
ओम प्रकाश गुप्ता के पिता का एक किराना दुकान था। एक ही कमरे में उनका बड़ा सा परिवार रहता था। स्कूल के संबंध में किसी को कोई जानकारी तक नहीं थी। पारिवारिक कलह की वजह से उन्हें 6 साल की उम्र में ही पढ़ाई के लिए घर से दूर भेजा गया।
गणित में थे हमेशा होशियार
ओमप्रकाश का एक सरकारी स्कूल से प्रारंभिक शिक्षा प्रारंभ हुई ।ओमप्रकाश इंजीनियरिंग के बारे में सुना था लेकिन आईआईटी के बारे में कोई जानकारी नहीं थी। स्कूल की पढ़ाई पूरी होने के बाद आईआईटी की जानकारी मिली और इसकी तैयारी में लगे और यहाऔ उसके लिए गणित विषय में का सबसे अच्छा साथी बना।
मजाक नहीं बदलती जिंदगी
आईआईटी में पहुंचने के बाद ओमप्रकाश सिंह के साथियों, अध्यापकों ने कहा तुम बहुत अच्छा कर सकते हो अगर तुम्हें सब बहुत अच्छा मिले । आईआईटी में पहुंचने की इस बात की जानकारी हुई कि रैंगिंग होती है। इसी रैगिंग के तहत उन्हें चुनाव में खड़ा होने के लिए कहा गया।चुनाव हार जाए और उनका मजाक बने, ओमप्रकाश ने चुनाव जीत कर सबको हैरान कर दिया।
चुनाव जीतने के बाद कॉलेज की स्थिति में सुधार देखने को मिला फिर उन्होंने यूपीएससी की तैयारी करने का विचार बना लिया और इसके लिए उन्होंने तैयारी शुरू की। यह तैयारी तो आसान तो नहीं थी लेकिन उन्होंने जिम्मेदारियों के साथ पढ़ाई पर भी ध्यान दिया। साल 2017 में उन्होंने सिविल सर्विस की तैयारी शुरू की। मात्र 1 महीने की तैयारी के बाद बीपीएस सी की परीक्षा में वह टॉप किए।
पहले दो प्रयासों में यूपीएससी ओमप्रकाश सफल नहीं हो पाए लेकिन तीसरे प्रयास में वह सफल हुए। आखिरकार उनकी मेहनत रंग लाई वह ऑल इंडिया 339वां रैंक लाने में कामयाब हुए और अपने सपनों को उड़ान दी।