भारत विविधताओं का देश है जहां पर विभिन्न मान्यताओं और विभिन्न धर्मों के लोग रहते हैं। ऐसे में हर राज्य में कोई न कोई त्यौहार पूजा हर महीने लगे रहते हैं। जैसा कि सबको पता है कि कुछ जगहों पर कुछ खास मेले लगते हैं। जिनका अपना एक मान्यता होता है और लोग उसे खूब मानते भी हैं और करते भी हैं। ऐसा ही एक सांपों का भी मेला लगता है। जहां मां भगवती के मंदिर में पूजा अर्चना की जाती है। ढोल बाजे के साथ सभी गंडक नदी तक पहुंचते हैं जहां पर मान्यता है कि यहां पर मांगी हुई सारी मन्नते पूरी होती हैं इन सांपों को सुरक्षित जगह पर छोड़ा भी जाता है।
300 साल पुरानी परंपरा चली आ रही है
इस मेले में भक्तों का उत्साह देखने लायक होता है नदी से सांपों को बाहर निकाला जाता है। सभी भक्त खुशी से ताली बजाते हैं। इन सांपों को न केवल हाथों से बढ़कर मुंह से पकड़कर भी निकाला जाता है। इस तरह का नजारा देखकर आप खुद ही चौक जाएंगे। यह भी मान्यता है कि यह मेला 300 सालों से मनाया जा रहा है। भारत में बहुत से लोग नाग देवता को पूछते हैं और इस मेले से बहुत से लोगों की आस्था जुड़ी हुई है। इसी के चलते अनोखे सांपों के इस मेले पर जाना शुभ माना जाता है। जहां पर भक्त आते हैं नदी में डुबकी लगाते हैं । सांप ढूंढते हैं और अपनी मन्नत मांगते हैं। यही नहीं यह मेला हर साल लगाया जाता है जहां पर श्रद्धालुओं की खूब भीड़ होती है।
मनोकामनाएं होती है पूरी
नदी से कई तरह की प्रजातियों के सांपों को बाहर निकाला जाता है और उन्हें सुरक्षित जगह बाद में छोड़ा भी जाता है। यहां पर मनोकामनाएं पूरी होने की मान्यता है लोगों का मानना है कि यहां पर जो भी मांगा जाता है वह पूरा हो जाता है। ऐसा ही कुछ बिहार के इस प्रसिद्ध मेले में भी है। समस्तीपुर में नाग पंचमी के दिन यह मेला लगता है जिस पर अच्छी खासी भीड़ होती है और लोग अपने मन्नते लेकर यहां पहुंचते हैं। यहां के परंपराओं के अनुसार अपनी मनोकामना पूरी करने के लिए पूजा-पाठ यहां तक कि ढोल नगाड़े पर नाचते गाते भी नजर आते हैं।