1971 में जब पाकिस्तान से युद्ध हो रहा था और उस समय अपनी जान की बाजी लगाने वाले योद्धा सूबेदार सेवा सिंह ने पाकिस्तान के द्वारा गिराए बम को नंगे हाथों से डिफ्यूज कर भारतीय सेना की मदद की थी। सेवा सिंह पुणे के किरकी सेना में बॉम्बे इंजीनियर ग्रुप के बम निरोधक प्लाटून का हिस्सा होने के दौरान इस काम को अंजाम दिया था। इस साहसपूर्ण कार्य के लिए तत्कालीन उपराष्ट्रपति वराहगिरी वेंकट गिरी ने उन्हें शौर्य चक्र से सम्मानित किया था।
सूबेदार सेवा सिंह उम्र के उस पड़ाव पर हैं। जहां वह अच्छे से चल भी नहीं पाते हैं लेकिन 1971 के युद्ध का हर पल उन्हें आज भी अच्छे से याद है। मीडिया को दिए इंटरव्यू में उन्होंने बताया कि 3 से 17 दिसंबर के बीच पाकिस्तानी सैनिकों ने पंजाब और जम्मू के कई इलाकों में बड़ी संख्या में बम गिराए थे। ऐसे में उनकी जिम्मेदारी थी कि वह उन बमों को डिफ्यूज करें।
सेवा सिंह का नंगे हाथों से बमों को डिफ्यूज करना जानलेवा था, लेकिन सेवा सिंह और उनके साथियों ने इसकी परवाह किए बिना यह काम कर दिखाया। सेवा सिंह बताते हैं कि ईश्वर की कृपा से वह बिना डरे अपने काम को कर सकते थे, उन्हें अपने जीवन से ज्यादा देश के लोगों को चिंता होती थी। सेवा सिंह अकेले ही फिरोजपुर में गिरे बमों को बिना किसी सुरक्षा सूट के ही डिफ्यूज किया था। जिनका नाम ही सेवा सिंह है, उन्होंने अपने देश की सुरक्षा में अपनी सेवा दी।
सेवा सिंह के जज्बे को पूरे भारतीयों की ओर से सेल्यूट! उस मां को भी नमन जिन्होंने ऐसे वीर सपूत को जन्म दिया।