नींद तो सभी को अच्छी लगती है लेकिन आपने जरूर सोचा होगा कि जब हम या कोई दूसरा व्यक्ति कहीं सफर कर रहा होता है तो चाहे वह चौपहिया वाहन में बैठे हो या फिर ट्रेन या किसी बड़े वाहन में हमें थोड़ी ही देर बाद नींद आने लगती है। हम गहरी नींद में सो जाते हैं। ऐसा हमेशा क्यों होता है? यह प्रश्न आपके मन में भी अवश्य उठता होगा तो चलिए हम इस प्रश्न का उत्तर आपको बता देते हैं।
आप लोगों ने तो हमेशा यह देखा ही होगा कि ट्रेन या बस में कितना भी शोर हो रहा हो लेकिन लोग सीट पर बैठने के कुछ देर बाद ही सो जाते हैं। चाहे उस सीट पर अच्छे सोफे लगे हो या ना लगे हो, लेकिन वह बैठकर ही सो जाते हैं तो इसके पीछे भी कई कारण है जो हमारे मस्तिष्क से जुड़े हुए हैं।
वैज्ञानिकों से पूछे जाने पर उन्होंने इसका साफ-साफ उत्तर बताया कि यह रॉकिंग सेंसेशन के कारण होता है उन्होंने बताया कि बस या ट्रेन हमेशा थोड़ा-थोड़ा हिलता रहता है। जिसके कारण हमें थोड़ी देर में ही नींद आ जाती है क्योंकि आपने देखा होगा कि जब हम छोटे बच्चे को पलने में डालकर थोड़ा-थोड़ा हिलाते हैं तो वह तुरंत ही सो जाता है।
ठीक उसी प्रकार हमारे साथ भी ऐसा ही होता है। जब वाहन गतिमान अवस्था में रहती है तो वह हल्की-हल्की हिलती रहती है। जिसके कारण ही हमारे मस्तिष्क ऐसा लगता है कि हमारा शरीर एकदम शांत है और हमारे मस्तिष्क अपार सिंक्रोनाइजिंग का प्रभाव पड़ता है और हम धीरे-धीरे सोने लगते हैं। हम इसे स्लो रॉकिंग की अवस्था भी कह सकते हैं।
यही वैज्ञानिक कारण है कि हम अधिक शोर में भी ट्रेन बस या किसी वाहन में आसानी से सो जाते हैं। लेकिन कई लोग ऐसा भी कहते हैं कि जब हम यात्रा करते हैं तो हमें हल्की हल्की ठंडी हवा लगती रहती है और हमारा मस्तिष्क एकदम शांत रहता है। जिसके कारण हमें अच्छी नींद आ जाती है। चाहे कोई कितना भी शोर करे हम उठते नहीं है।