आज हम आपको एक ऐसी लड़की की कहानी बताने जा रहे हैं, जिसने अपनी कड़ी मेहनत, हिम्मत और लगन से अपने मां-बाप का ही नाम रोशन किया है। आपको बता दें कि यह कहानी एक आईएएस ऑफिसर की है, जिसने 7 साल की उम्र में ही अपने आँखे खो दी थी। उसके बावजूद उनका सफर नहीं रुका और आज वह एक आईएएस ऑफिसर के पद पर आसीन हैं।
2003 में तपस्विनी दास ने 7 साल की उम्र यानी जब वह कक्षा 2 में थी, तब उड़ीसा के बड़े अस्पताल के कुछ डॉक्टरों की गलती की वजह से अपनी आंखें खो थी। हालांकि अपनी आंखों की रोशनी खोने के बाद उन्हें बहुत कठिनाइयों का सामना करना पड़ा, और उनके मां बाप की भी चिंता बढ़ गई कि अब उनकी बेटी की जिंदगी में क्या होगा?
लेकिन तपस्विनी ने कभी भी हिम्मत नहीं हारी और निरंतर आगे बढ़ती रही। अपनी पढ़ाई पूरी करने के लिए उन्होंने ब्रेल लिपि और ऑडियो रिकॉर्डिंग सुनना शुरू किया और अपनी पढ़ाई निरंतर चालू रखी। तपस्विनी कभी भी अपने माता-पिता पर बोझ नहीं बनना चाहती थी इसलिए उन्होंने अपने हर कक्षा में अच्छे अंको से पास हुई।
आपको बता दें कि तपस्विनी दास के पिता जी का नाम अरुण कुमार दास है, जो उड़ीसा कॉपरेटिव हाउसिंग कॉरपोरेशन के रिटायर्ड डिप्टी मैनेजर हैं और उनकी माता जी का नाम कृष्णप्रिय मोहंती है, जो एक टीचर हैं। तपस्विनी इंटरमीडिएट की परीक्षा में टॉपर की लिस्ट में शामिल रही, वहीं उन्होंने स्नातक भी अच्छे अंको से पास किया। तपस्विनी ने स्नातक के बाद सिविल परीक्षा भुवनेश्वर की उत्कल यूनिवर्सिटी से पॉलीटिकल साइंस में पोस्ट ग्रेजुएशन भी पास किया है।
आपको बता दे कि तपस्विनी ने अपनी कड़ी मेहनत से साल 2018 में उड़ीसा सिविल सर्विसेज परीक्षा में 161 वीं रैंक हासिल की। तब उनकी उम्र मात्र 23 वर्ष की थी। तपस्विनी आज अपनी मेहनत से आईएएस अधिकारी है, हम उनके जज्बे को सलाम करते हैं।