उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जिले में एक गांव है जिसे एशिया का सबसे बड़ा गांव कहा जाता है। 1530 में गहमर नाम के इस गांव की स्थापना पटना और मुगलसराय रेल मार्ग पर सिकरवार के राजपूतों द्वारा की गई थी। यह सबसे बड़ा गांव का है। आज आने वाला यह गांव 22 पट्टी में बटा हुआ है और इसकी सबसे खास बात जानकर आप हैरान हो जाएंगे।
यहां हर घर से कोई न कोई भारतीय सेना में कार्यरत है। इसीलिए इस गांव को फौजियों का काम भी कहा जाता है। इस गांव में भारतीय सेना में जवान से लेकर कर्नल तक के पदों पर कार्यरत हैं। परिवार में जिनकी पांचवी पीढ़ी में भारतीय सेना से जुड़ी हुई है। उससे भी बड़ी बात यहां यह है कि इस गांव के पुरूष ही नहीं महिलाएं भी इसमें भाग लेती हैं।
गहमर में पोस्ट ऑफिस, बैंक, रेलवे स्टेशन, हॉस्पिटल, बस स्टेशन और टेलीफोन एक्सचेंज ऐसी बड़ी बुनियादी सुविधाएं भी मौजूद है। इस गांव को एशिया का सबसे बड़ा गांव ही नहीं बल्कि बड़े दिल वाले गांव के नाम से भी जाना जाता है, क्योंकि यहां हर घर देश की सेवा के लिए मर मिटने के लिए तैयार रहता है। करीब 10 हजार से ज्यादा फौजी भारतीय सेना में इस गांव से कार्यरत हैं और 14000 से अधिक भूतपूर्व सैनिक है।
प्रथम विश्वयुद्ध द्वित्तीय विश्वयुद्ध से लेकर 1999 भारत पाक युद्ध में इस गांव के फौजियों ने भाग लिया। इस गांव के 228 सैनिक ब्रिटिश सेना में भी प्रथम विश्व युद्ध में शामिल हुए थे। गाजीपुर से 40 किलोमीटर दूर उपस्थित है वह माल गांव में एक रेलवे स्टेशन पर है जो पटना और मुगलसराय को जोड़ता है इस गांव की हर पट्टी का नाम किसी न किसी वीर शहीद सैनिक के नाम पर है।
यहां युवक मठिया चौक पर सुबह-शाम सेना की तैयारी करते आपको नजर आ जाएंगे इस काम में लोगों के लिए सैनिक कैंटीन की सुविधा भी उपलब्ध है। लेकिन यह पिछले कई सालों से बंद है। इस गांव में 10 से अधिक स्कूल 2 डिग्री कॉलेज 7 इंटर कॉलेज तो पोस्ट ऑफिस दिन बैंक और एटीएम मौजूद है। इस गांव को साहित्यकारों का गांव भी माना जाता है।
क्या आप भी जानना चाहेंगे एक बार इस गांव में अगर हां तो कमेंट बॉक्स में लिखें