जानिए कैसे पिज्जा ठेलों पर बिकते हुए, फाइव स्टार होटलों में पार्टी की शान बन गई

Know how to sell on pizza carts

आज से करीब ढाई हजार साल पहले इटली में शुरुआत हुई थी। उस दौरान पर्शिया के सैनिक ब्रेड के ऊपर चीज और खजूर रखकर नान खाते थे। वहां फ्लैटब्रेड पर चीज, हर्ब्स, प्याज, लहसुन आदि डालकर खाया जाना शुरू कर दिया गया। ग्रीस के लोग उसे पिट्टा बोलते थे। फ्रेंच इटली के पुरातत्वविद यह मानते हैं कि 7000 साल पहले इटली के सारडिनिया आइलैंड पर पीछे जैसी ही डिस को खाते थे।

इटली में शुरू हुई मॉडल पिज्जा की शुरुआत

ग्रीस से इटली पहुंचा तो इसका उच्चारण पिज्जा हो गया और आज तक पिज्जा ही चल रहा है। यूरोप में टोमेटो सॉस का चलन बढ़ा दो पिज्जा के तमाम तरह के एक्सपेरिमेंट किए गए। स्वाद के साथ स्वरूप भी बदला, तीसरे सबसे बड़े शहर नेपलिस में वहां के गरीब लोग यीस्ट से बनी कलेक्ट्रेट पर टमाटो सॉस लगाकर खाते थे। तब पिज्जा के स्टांल नहीं हुआ करते थे।

कुछ हांकर पिज्जा बेचने वालों से इसे खरीदते थे और ठेले पर अपनी दुकान के जरिए बेचते थे। उस समय इसकी कीमत काफी कम थी।इसीलिए यह गरीबों में काफी लोकप्रिय था। जब यह डिश ने नेपलिस पर्यटकों ने चखा तो उन्हें बहुत ज्यादा पसंद आया। धीरे-धीरे इसकी लोकप्रियता बढ़ती गई। यह काफी मशहूर होने लगा, साथ ही पिज़्ज़ा में अलग-अलग एक्सपेरिमेंट करके इसका स्वरूप बदलता ही चला जा रहा था।

इटली के एक बेकरी रॉफेल एपॉसिटो ने पहली बार राजा उम्बेर्टो और मार्गरीटा के इटली के झंडे से प्रेरणा लेते हुए। हरी तुलसी, सफेद मोजरेला और लाल टमाटर को डालकर बनाया। राजा को बेहद पसंद आया और तभी से पिज्जा मार्गरीटा पिज्जा के नाम से जाना जाता है।

आज के पिज्जा पर मशरुम, लाल, हरी ,पीली शिमला मिर्च और पनीर जैसी चीजें डाली जाती हैं। 1905 में न्यूयॉर्क में पहली दुकान खोली। 1970 के दशक में पिज्जा भारत के फाइव स्टार होटलों तक पहुंची और आज पूरे देश में फैली हुई है। हर छोटे-बड़े शहरों में पिज्जा फैला हुआ है, लेकिन पहले पिज्जा गरीबों की भूख मिटा दी थी। आज अमीरों की पार्टी में शामिल है।

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