उत्तराखंड में हिमालय की तलहटी में बसा एक छोटा सा आश्रम जिसका नाम नीम करौरी बाबा आश्रम है। यह आश्रम एकदम शांत साफ सुथरा, हरियाली और सुकून से भरा समुद्र तल से 14 मीटर की ऊंचाई पर स्थित नैनीताल अल्मोड़ा मार्ग पर स्थित है। यह आश्रम धर्मावलंबियों के बीच कैंची धाम के नाम से लोकप्रिय है।
यह आश्रम बाबा नीम करौरी महाराज जी को समर्पण में बनाया गया है। यहां हिंदू आध्यात्मिक गुरु के रूप में पूजे जाने वाले बाबा नीम करोरी हनुमान जी के बहुत बड़े भक्त थे। इन्हें हनुमान जी का अवतार ही माना जाता था। उत्तर प्रदेश में फिरोजाबाद जिले में अकबरपुर गांव में बाबा नीम करौरी का जन्म हुआ था। इन्होंने अपने एक मित्र पूर्ण आनंद के साथ मिलकर 1964 में इस आश्रम की स्थापना की।
यह आश्रम नैनीताल भवाली से 7 किलोमीटर दूर है। कैंची धाम के बाबा के चमत्कारों की चर्चा देश ही नहीं विदेशों में भी होती है। फेसबुक के सीईओ मार्क जुकरबर्ग भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बाबा के बारे में चर्चा कर चुके हैं। बाबा हनुमान जी को अपना गुरु और आराध्य मानते थे। उन्होंने 108 हनुमान मंदिर बनवाए हैं।
मान्यता है कि बाबा नीम करौरी को हनुमानजी की उपासना से अनेक चमत्कारी सिद्धियां प्राप्त थी। वह एकदम आम आदमी की तरह जीवन बिताते थे। लेकिन अपना पैर कभी किसी को छूने नहीं देते थे। वह कहते थे हनुमान जी का पैर छुओ। इस आश्रम में जून में वार्षिक समारोह होता है। जहां भक्तों की खूब भीड़ उमड़ती है।
यहां केवल भारत से ही नहीं विदेशों से भी इनके भक्तों की भीड़ लगती है। पीएम मोदी हॉलीवुड अभिनेत्री जूलिया रॉबर्ट्स एप्पल के फाउंडर स्टीव जॉब्स, फेसबुक के संस्थापक मार्क जुकरबर्ग जैसी हस्तियां भी बाबा के भक्तों में शामिल है। यह लोग कैंची धाम आश्रम भी आ चुके हैं। लोगों से सुना जाता है कि एक बार भंडारे के दौरान घी की कमी पड़ गई थी। बाबा के आदेश से तब नीचे बह रही नदी से कनस्तर में जल भरकर लाया गया। प्रसाद के लिए जब इसे इस्तेमाल किया गया तो जल घी में बदल चुका था।
ऐसी ही एक और लोगों द्वारा कहानी सुनी जाती है कि बाबा ने कड़ी धूप में अपने एक भक्त के लिए बादल की छतरी बनाकर उसे मंजिल तक पहुंचाया था। बाबा के भक्त और जाने-माने लेखक रिचर्ड अल्बर्ट ने मिरेकल अॉफ लव नाम से बाबा पर लिखी पुस्तक में उनके चमत्कारों का वर्णन किया है।