अहमदाबाद के सीरियल ब्लास्ट मामले के मुख्य साजिशकर्ता सफदर नागोरी को मौत की सजा के बाद भी नहीं कोई अफसोस, कहा भारतीय संविधान मेरे लिए महत्वपूर्ण नहीं

The main conspirators in the Ahmedabad serial blasts case

2008 में अहमदाबाद में हुए सीरियल ब्लास्ट मामले में शुक्रवार को 38 दोषियों को फांसी की सजा सुनाई गई है। जिसमें सफदर नागोरी के साथ अन्य आरोपियों पर आतंकी वारदात के जरिए 56 लोगों की जान लेने का इल्ज़ाम था। भोपाल के सेंट्रल जेल में कैद नागोरी को सजा मिलने के बाद भी अपने किए पर कोई पछतावा नहीं है। उसने कहा कि मैं भारत के संविधान को नहीं जानता, मेरे लिए यह कोई मायने नहीं रखता है।

अभियोजन पक्ष के अनुसार उज्जैन का रहने वाला नागोरी प्रतिबंधित स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ़ इंडिया (सिमी) से जुड़ा हुआ था और अहमदाबाद धमाकों का मुख्य साजिशकर्ता भी था। जेल अधिकारियों के अनुसार नागोरी ने वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से अहमदाबाद की विशेष अदालत में हुई सुनवाई में, भोपाल सेंट्रल जेल के अधीक्षक दिनेश नरगावे ने बताया कि नागोरी ने मौत की सजा सुनाए जाने के तुरंत बाद का संविधान मेरे लिए कोई मायने नहीं रखता।

मेरे लिए कुरान के फैसले सबसे ऊपर है। नागोरी को अहमदाबाद के धमाकों के लिए विस्फोटकों का इंतजाम करने और सिमी की अन्य अवैध गतिविधियों के लिए धन इकट्ठा करने के आरोप में पकड़ा गया था। सूत्रों के अनुसार 100 अपराधिक मामले नागोरी के ऊपर है। जिनके खिलाफ उज्जैन के महाकाल पुलिस स्टेशन में 1997 में पहला अपराधिक मामला दर्ज किया गया था।

2008 को इंदौर के एक फ्लैट से उसे गिरफ्तार किया गया था। तब से वह जेल में है। नागोरी के पिता मध्य प्रदेश पुलिस की अपराध शाखा में सहायक उपनिरीक्षक थे। 26 जुलाई 2008 को अहमदाबाद में 70 मिनट में 22 धमाके हुए थे जिन्हें देखो उधर तबाही ही तबाही मचा हुआ था।

सिविल अस्पताल हो या फिर नगर निगम कि एलजी अस्पताल, पार्किंग में साइकिलें, कारें सब बर्बाद होने के साथ ही 56 से ज्यादा लोगों की मौत हुई थी। 200 से ज्यादा लोग घायल हुए थे। 24 बम लगाए हुए थे जिसमें कलोल और नरोदा में लगा बम नहीं फटा। 14 साल बाद अहमदाबाद सीरियल बम ब्लास्ट केस में स्पेशल कोर्ट का फैसला आया। जिसमें 49 में से 38 दोषियों को मौत की सजा सुनाई गई। बाकी 11 को उम्र कैद की सजा मिली है।

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