19 दिसंबर 1928 को भगत सिंह सुखदेव और राजगुरु ने असिस्टेंट पुलिस अधीक्षक जॉन सॉडर्स की हत्या कर दी थी। जिसके बाद ब्रिटिश पुलिस ने इन तीनों क्रांतिकारियों को ढूंढना शुरू कर दिया। तीनों को आगे की गतिविधियों को अंजाम देने के लिए सुरक्षित जगह की जरूरत थी और सुरक्षित छत उन्हें दी, दुर्गा भाभी ने जिनके विषय में बेहद ही कम लोग जानते हैं।
दुर्गा देवी बोहरा लाहौर के कॉलेज में पढ़ने वाली हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन की प्रमुख योजनाकार और गुप्तचर थी। दुर्गा भाभी क्रांतिकारियों के लिए हथियारों की व्यवस्था करना और फिर उन तक उन हथियारों को पहुंचाने का काम करती थी।
भगत सिंह ने जब भेष बदलकर उनके यहां पहुंचे तो उन्होंने तुरंत उन्हें छिपकर लखनऊ पहुंचने की योजना बनाई। दुर्गा भाभी ने भगत सिंह को अंग्रेजी कपड़े पहना कर एक नया रूप दिया और अपने पास रखे सभी पैसों के साथ अपनी 3 साल की बेटी को गोद में उठाकर भगत सिंह की पत्नी के रूप में ट्रेन में सवार हो गए।
राजगुरु को घर के नौकर का भेज दिया। इस भेष में वह कोलकाता पहुंची। जहां भगवती शरण दुर्गा देवी और भेष बदले हुए भगत सिंह ने कांग्रेस के कलकत्ता सत्र में भाग लिया। जहां कई बंगाली क्रांतिकारियों से उनकी मुलाकात हुई।
दुर्गा भाभी ने अपने पति के बम कारखाने पर छापा पड़ने के बाद क्रांतिकारियों के लिए पोस्ट बॉक्स का काम किया। योजनाओं की पत्र एक दूसरे को पहुंचाने का काम यह बखूबी करती थी। बम बनाने के दौरान जब उनके पति एक दुर्घटना में मारे गए। तब दुर्गा देवी शोक में नहीं थी, बल्कि क्रांतिकारी गतिविधियों को और तेज कर दी।
जुलाई 1929 में उन्होंने भगत सिंह के तस्वीर के साथ लाहौर में जुलूस निकालकर उनकी रिहाई की मांग की। 63 दिनों तक भूख हड़ताल के बाद जतिंद्रनाथ दास जेल में ही शहीद हो गए। तब दुर्गा भाभी ने ही उनका अंतिम संस्कार करवाया।
8 अक्टूबर को उन्होंने एक ब्रिटिश पुलिस अधिकारी पर हमला भी किया। यह पहली बार था जब किसी महिला को इस तरह से क्रांतिकारी गतिविधियों में शामिल होते देखा गया, उन्हें 3 साल की जेल हुई। लेकिन उनका योगदान सिर्फ आजादी तक ही नहीं था। लखनऊ में उत्तर भारत का पहला मोंटेसरी स्कूल भी इन्होंने ही खोला है। ताउम्र देश के लिए समर्पित रही। भगत सिंह की इस साथी को हमारा सलाम🙇🙇🙏