शरीर में लगी थी गोलिया, फिर भी पाकिस्तानी बंकर तहस-नहस करते रहे ये जांबाज़ |

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3 मई 1999 को कश्मीर के कारगिल में बकरी चराने वालों ने खबर दी की पाकिस्तान के सैनिक भारत में घुस आए हैं। जिसके बाद भारतीय सैनिक ने इसकी जानकारी एकत्र की और फिर द्रास, ककसार और मुश्कोह सेक्टर में घुसपैठ की घटनाएं रिपोर्ट हुईं | साफ था पाकिस्तानी सेना कारगिल में बड़ी घुसपैठ कर चुकी थी, जिसे रोकने के लिए हमारे वीर सेनिको ने जान की बाजी लगाई थी। आज हम आपको ऐसी ही कुछ वीर सेनिको की दास्ता सुनाने जा रहे है।

पूरे कारगिल युद्ध के दौरान 527 इंडिया के और पाकिस्तान के 400 से ज्यादा लोग मारे गए, भारत के 1363 और 665 से ज्यादा पाकिस्तान के लोग घायल हुए ।

सबसे कम उम्र में परमवीर चक्र पाने वाले ग्रेनेडियर योगेंद्र सिंह यादव

इन्होने अपने देश के लुए इस युद्ध में बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। यह बुलंदशहर जिले के योगेंद्र ने अकेले अपने दम पर पाकिस्तानी आर्मी से दो बंकर छीन लिए थे, और दूसरे बंकर पर कब्जा करते वक्त वो अकेले ही 4 सैनिकों से भिड़ गए और चारों को मार गिराया। जितनी देर उन्होंने पाकिस्तानी आर्मी को उलझाए रखा, उतनी देर में इंडियन आर्मी दूसरे बंकर पर कब्जा कर चुकी थी।  इसके बाद इन्हे सबसे कम उम्र में परमवीर चक्र पाने वाले सैनिक हैं, उन्हें 19 साल की उम्र में ये सम्मान प्राप्त हुआ है।

मनोज कुमार पांडेय

1 गोरखा रायफल्स के लेफ्टिनेंट मनोज कुमार पांडेय सीतापुर, उत्तर प्रदेश के रहने वाले थे। इन्होने पाकिस्तानी सेना के ऊपर गोलियों की बारिश किए जा रहे थे, क्योंकि पाकिस्तानी सैनिक ऊपर थे और ये लोग नीचे थे। उसके बाद भी इन्होने इस पर विजय प्राप्त की। भारत सरकार ने मनोज पांडेय की अद्वितीय बहादुरी के लिए मरने के बाद उन्हें देश के सबसे बड़े सेना सम्मान परमवीर चक्र से नवाजा।

कैप्टन विक्रम बत्रा

कैप्टन विक्रम बत्रा, 13 JAK रायफल्स से थे, वो पालमपुर, हिमाचल प्रदेश के रहने वाले थे, इन्होने बटालियन में जोश लाने को वो मुहावरे बोला करते थे | कई बार वो कुछ भी बोल देते थे, जो मुहावरे मान लिए जाते थे। इसके कारण यह बहुत ही फेमस हो गए थे। LOC कारगिल फिल्म में कैप्टन बत्रा का रोल अभिषेक बच्चन ने निभाया है, इन्होने कारगिल के पांच इंपॉर्टेंट पॉइंट जीतने में अहम रोल निभाया था।

संजय कुमार

13 JAK रायफल्स के रायफलमैन संजय कुमार, बिलासपुर, हिमाचल प्रदेश के रहने वाले है। इन्होने पाकिस्तानी बंकर पर अपना कब्ज़ा करने के लिए छाती और हाथ में कई गोलियां खायी थी। इसके बाद भी आगे बढ़ते गए। यह तीन पाकिस्तानी सैनिकों से अकेले जूझ गए। दूसरे बंकर की ओर बढ़े और मशीन गन उठाकर अकेले ही दूसरे बंकर पर कब्ज़ा कर लिया।

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