पहले भारतीय पैरा कमांडो को कोरियाई वॉर हीरो का सम्मान – 69 साल पुरानी वीर गाथा को सलाम,

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देश में कई नोजवानो ने लड़ाइयों में अपने देश का नाम गर्व से ऊँचा किया है। आज हम आपको ऐसे ही एक जवान के बारे में बताने जा रहे है, जिन्होंने कोरियाई वॉर में अपने अहम रोल को निभाया था।  इनका नाम लेफ्टिनेंट कर्नल ए. जी. रंगराज था, इन्होने अगुवाई में 60वीं पैराशूट फील्ड एंबुलेंस ने नॉर्थ और साउथ कोरिया के बीच हुई जंग में मोबाइल आर्मी सर्जिकल हॉस्पिटल को चलाया था। आइये जानते है, इनके बारे में।

कोरियाई युद्ध में अहम भूमिका निभाई

कर्नल ए. जी. रंगराज ने कोरियाई युद्ध में अपनी अहम् भूमिका को निभाया था। यह बात दक्षिण कोरिया के 1950-53 के बीच हुए कोरियाई युद्ध की है। इन्होने अपने देश की तरफ से इस युद्ध के दौरान अहम भूमिका निभाई थी। भारतीय सेना के लेफ्टिनेंट कर्नल (स्वर्गीय) ए.जी. रंगराज को अपने देश के दक्षिण कोरिया से हुए युद्ध में कई साहसिक फैसलों के लिए जानता जाता है। 1950-53 के बीच हुए कोरियाई युद्ध में अहम भूमिका निभाने के लिए भारतीय सेना के लेफ्टिनेंट कर्नल (स्वर्गीय) ए.जी. रंगराज को अपने देश के सबसे बड़े युद्ध सम्मान ‘वॉर हीरो’ से सम्मानित करने का ऐलान किया है।  इस युद्ध को 2021 में 71 साल होने को जा रहे है। इसी अवसर को देखते हुए दक्षिण कोरिया की तरफ से इस सम्मान की घोषणा की गयी है।

यह सम्मान दक्षिण कोरिया के वॉर-वेटरन मंत्रालय की ओर से ऐलान किया जाता है। लेफ्टिनेंट कर्नल ए. जी. रंगराज की अगुवाई में 60वी पैराशूट फील्ड एंबुलेंस ने नॉर्थ और साउथ कोरिया के बीच हुई जंग में मोबाइल आर्मी सर्जिकल हॉस्पिटल (MASH) को चलाया था। इस सुविधा को भारत की तरफ से तीनों साल तक जारी रखा था।

महावीरचक्र से भी सम्मानित किया गया

इस कदम के लिए ए. जी. रंगराज को महावीरचक्र से भी सम्मानित किया गया था। इसके लिए कोरियन वॉर मेमोरियल में अगले साल जुलाई 2021 में लेफ्टिनेंट कर्नल ए.जी. रंगराज की बड़ी तस्वीर लगाई जाएगी। जो इस बात का प्रतीक है की उन्होंने इस देश के लिए अपनी तरफ से सेवाएं दी थी। इसके लिए मेमोरियल में भारत के नाम का अलग सेक्शन बनाया गया है, जिसमे इनकी तस्वीर को लगाया जाएगा।

भारत की इस युद्ध में भूमिका मुख्य तौर पर न्यूट्रल रही थी, क्योंकि जिस मोबाइल मिलिट्री एंबुलेंस प्लाटून की अगुवाई ए. जी कर रहे थे, उसने युद्ध मैदान में युद्ध किया था। उस प्लाटून में कुल 627 जवान थे।

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