टोक्यो ओलंपिक 2020 में भारतीय महिला खिलाड़ियों का शानदार प्रदर्शन जारी

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सर्वप्रथम मीराबाई चानू ने वेटलिफ्टिंग के 49 किलोग्राम वर्ग में रजत पदक जीतकर टोक्यो ओलंपिक 2020 में भारत का खाता खोला। मीराबाई चानू रियो ओलंपिक 2016 के प्रयास में असफल रही थी। लेकिन इस बार उन्होंने अपनी कड़ी मेहनत से देश को पदक दिया।

वहीं दूसरी ओर बैडमिंटन खिलाड़ी पीवी सिंधु ने रियो ओलंपिक 2016 में भारत के लिये रजत पदक अपने नाम किया था और टोक्यो ओलंपिक 2020 में 1 अगस्त को कांस्य पदक अपने नाम किया। पीवी सिंधु भारत की ओलंपिक में दो पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला खिलाड़ी बन चुकी है। इसके अलावा पीवी सिंधु ने बीडब्ल्यूएफ वर्ल्ड चैंपियनशिप में 5 पदक हासिल किए हैं। अगर हम इन दोनों खेलों के पदको को मिला दे तो विश्व में किसी भी महिला खिलाड़ी ने ओलंपिक और वर्ल्ड चैंपियनशिप मिलाकर इतने ज्यादा पदक हासिल नहीं किए है। पीवी सिंधु की इन उपलब्धियों पर देश को गर्व है।

अब बात करते हैं लवलीना बोरगोहेन की। लवलीना ने 4 अगस्त को विमेंस वेल्टरवेट मुकाबले में कांस्य पदक हासिल कर देश को गौरवान्वित किया। पूरा देश उनकी ओलंपिक में पहली जीत की बधाई देता है।

इन सबके अलावा एक और महिला खिलाड़ी हैं जो कि भले ही पदक हासिल करने से चूक गई हैं, लेकिन इन्होंने देश का नाम बढ़ाने में कोई कमी नहीं छोड़ी। हम बात कर रहे हैं कमलप्रीत कौर की इन्होंने डिस्क थ्रो के फाइनल में लिए क्वालीफाई कर लिया था। लेकिन वह जीत से थोड़ी पीछे रह गई। देश उनकी कड़ी मेहनत के लिए प्रशंसा करता है और आशा करता है कि अगली बार वह निराश नहीं होंगी।

यह तो हो गई सिंगल खिलाड़ियों की बात अब बात करते हैं टीमवर्क की भारतीय महिला हॉकी टीम ने क्वार्टर फाइनल में अपने शानदार प्रदर्शन के बाद पहली बार ओलंपिक हॉकी के सेमीफाइनल में अपना स्थान दर्ज कराया। इस टीम की कप्तान रानी रामपाल के साथ-साथ अन्य खिलाड़ियों का प्रदर्शन (गुरमीत कौर और सविता पूनिया) शानदार रहा। हालांकि टीम फाइनल में अपनी जगह नहीं बना सकी। लेकिन 6 अगस्त को कांस्य पदक की दावेदारी के लिए मैदान में उतरेगी।

यह तो थी भारतीय महिला खिलाड़ियों के शानदार प्रदर्शन की व्याख्या। अब कुछ ऐसे लोगों की बात कर लेते हैं जो पता नहीं “महिला सशक्तिकरण” का क्या मतलब निकाल कर बैठे हैं!

भारतीय महिला खिलाड़ियों की जीत के बाद ट्विटर पर कुछ अजीबोगरीब चीजें ट्वीट होने लगी। लोगों ने महिला खिलाड़ियों की तुलना अभिनेत्रियों से करना शुरू कर दी है। कुछ लोगों की नजर में किसी खेल में पदक जीतना नारी सशक्तिकरण है और वही अपने अभिनय की कला से लोगों का मनोरंजन करना नारी सशक्तिकरण का झूठा दिखावा।

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लोगों ने महिला खिलाड़ियों की फोटो के साथ भारतीय अभिनेत्रियों की फोटो को जोड़कर यह दर्शाने की कोशिश की है कि बॉलीवुड में काम करना महिला सशक्तिकरण नहीं। असली महिला वह होती है जो देश के लिए पदक हासिल करें। लोगों ने मीराबाई चानू, पीवी सिंधु, लवलीना और कमलप्रीत कौर इन सब की बहुत ही प्रशंसा की है और बधाई दी है। लेकिन वही स्वरा भास्कर, तप्सी पन्नू, सोनम कपूर और करीना कपूर को फेक फेमिनिज्म बताने की कोशिश की है।

लोगों ने यहां तक कह डाला “बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ” क्योंकि बेटी पदक लेकर आएगी! क्या हमें बेटियों को इसलिए बचाना चाहिए क्योंकि वो हमारे लिए पदक लेकर आए? क्या बेटियों की जान की कीमत सिर्फ एक पदक है? पता नहीं कैसा है हमारा समाज एक ओर बेटियों की जान की कीमत लगाता है, दूसरी ओर एक औरत की तारीफ करने के लिए दूसरी औरत को नीचा दिखाता है।

लगता है, शायद आज तक समाज नारी सशक्तिकरण शब्द का मतलब नहीं समझ पाया। लोगों को यह समझने की जरूरत है कि नारी सशक्तिकरण का मतलब क्या है “जब कोई महिला अपने जीवन के फैसले अपने दम पर अपनी मर्जी से ले” उसे किसी भी पुरुष या अन्य महिला पर आश्रित ना होना पड़े वह है “नारी सशक्तिकरण”।

आप महिला सशक्तिकरण के बारे में क्या सोचते हैं? हमें कमेंट करके जरूर बताएं क्योंकि इन हरकतों से ऐसा लगता है कि हमारा समाज अभी भी पुरुष प्रधान है और उसे महिला की कामयाबी किसी प्रकार से हज़म नहीं हो सकती।

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