शहीद विक्रम बत्रा ने खून से भरी थी मांग… आज भी प्रेमिका ने नहीं की शादी।

आज हम आपको कारगिल युद्ध में शहीद हुए विक्रम बत्रा की बहादुरी और उनकी प्रेम कहानी के बारे में आपको बतायेगे। आज करगिल विजय के 22 साल पूरे होने पर लोगों के दिलों में शहीद कैप्‍टन विक्रम बत्रा की यादें ताजा हो गई हैं। उनके पराक्रम को सभी जानते है।
उन्हें आज उनकी कारगिल में विजय और देश के लिए उनके मर मिटने वाले जज्‍बे की वजह से याद किया जाता है। उसके साथ ही उनकी प्रेमिका डिंपल चीमा के लिए उनके बेमिसाल प्‍यार की वजह से भी जाना जाता है। डिंपल चीमा और विक्रम बत्रा पहली बार चंडीगढ़ की पंजाब यूनिवर्सिटी में 1995 में मिले थे। दोनों ने साथ में इंग्लिश में एमए किया था। लेकिन वह इसे पूरा नहीं कर पाएथे।
दोनों की ‘शादी’ होते होते रह गई
साल 1996 में विक्रम बत्रा का सलेक्‍शन इंडियन मिल‍िटरी अकैडमी (आईएमए) देहरादून में हो गया। जिसके कारण वह उस समय शादी नहीं कर पाए थे।
लेकिन एक बार ऐसा वाकया हुआ कि दोनों की ‘लगभग शादी’ हो गई थी। डिंपल बताती हैं कि दोनों कसर मनसा देवी मंदिर और गुरुद्वारा श्री नदा साहब जाया करते थे। वहा उन्होंने एक साथ मंदिर की 4 बार परिक्रमा करते हुए विक्रम बत्रा ने अचानक डिंपल से कहा, ‘बधाई हो मिसेज बत्रा, आपने यह ध्‍यान नहीं दिया कि हम दोनों ने एक साथ चार बार परिक्रमा कर ली है।’
ब्‍लेड से अंगूठा काट भरी मांग
जब एक मुलाकात के दौरान डिंपल ने उनसे शादी के बारे में पूछा तो विक्रम बत्रा ने अपने पर्स से ब्‍लेड निकाला, और अपना अंगूठा काटा और खून से डिंपल की मांग भर थी। डिंपल का कहना था की वह पल मेरे लिए सबसे हसीन था। यह उनकी जिंदगी का सबसे अनमोल पल था। उसके बाद वह विक्रम बत्रा का इंतजार करती रहीं, उनकी शहादत के बाद भी उन्होंने किसी और से शादी नहीं की थी।
शेरदिल शेरशाह थे विक्रम
कैप्‍टन विक्रम बत्रा ने कारगिल युद्ध में अहम् भूमिका निभाई थी। उनके आगे पाकिस्‍तानी फौजें भी डर कर सिर झुकाती थीं। कहा जाता है की पाकिस्‍तानी सेना उनके लिए ‘शेरशाह’ कोड नेम का इस्‍तेमाल करते थे। 7 जुलाई 1999 को उनकी लड़ाई के दौरान उनकी शहादत हुई उस समय उनकी डेल्‍टा कंपनी ने पॉइंट 5140 को जीत लिया था और पॉइंट 4750 और पॉइंट 4875 पर दुश्‍मन की पोस्‍ट को बर्बाद कर दिया था। वह दुश्‍मन की गोली लगने से घायल हो गए थे। जान गंवाने से पहले उन्‍होंने तीन दुश्‍मन सैनिकों को भी मार गिराया था। उनका नारा था ‘ये दिल मांगे मोर’ जी उस समय सभी को बहुत पसंद आया था।

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