सौरमंडल या रहस्यों का मंडल, आइए देखते हैं इस बार नासा ने हमारे लिए सौरमंडल के कौन से रहस्य खोजें है? आपको बता दें कि नासा का पार्कर सोलर प्रोब पिछले वर्ष शुक्र ग्रह के ऊपरी वायुमंडल से गुजरा था। जहां उसने कुछ आवाजें सुनी थी। एक साल तक वैज्ञानिकों ने इस आवाज की उत्पत्ति और तरंगों को समझने का प्रयास किया और अब इसे आम जनता के लिए जारी कर दिया है।
आइए जाने का प्रयास करते हैं कि आवाज कैसी है, नासा द्वारा पार्कर सोलर प्रोब सूर्य के रहस्य को जानने के लिए अंतरिक्ष में भेजा गया है। यह पिछले वर्ष जुलाई में शुक्र के ऊपरी वायुमंडल से गुजरा था। अंतरिक्ष विज्ञान के 30 साल के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है, जब शुक्र ग्रह की ऊपरी वायुमंडल से कोई आवाज सुनी गई हो और अंतरिक्ष यान ने उसे रिकॉर्ड कर लिया है।
हमारी पृथ्वी और शुक्र ग्रह लगभग एक समान है, वहां पहाड़ियां, घाटियां आदि भी है लेकिन वहां पर चुंबकीय तत्व नहीं है। शुक्र की सतह हमेशा उबलती रहती है, जिसकी वजह से वहां पर अब तक जितने भी अंतरिक्ष यान उसके बगल से निकले हैं वह 2 घंटे से ज्यादा उसकी गर्मी नहीं बर्दाश्त कर पाते। लेकिन जब 11 जुलाई 2020 को पार्कर सोलर प्रोब शुक्र ग्रह से 833 किलोमीटर की दूरी से तीसरी बार निकला तो उसे प्राकृतिक रेडियो उत्सर्जन की वजह से कुछ आवाजें सुनाई दी, जिसे उसने रिकॉर्ड कर लिया।
इस यान के डाटा एनालिसिस का काम मैरीलैंड के लॉरेल में स्थित जॉन हापकिंग एप्लाइड फिजिक्स लेबोरेटरी के वैज्ञानिक करते हैं। नासा की गोडार्ड फ्लाइट सेंटर के साइंटिस्ट और शुक्र ग्रह के एक्सपर्ट ग्लेन कॉलिनसन ने कहा कि शुक्र ग्रह की आवाज ही किसी संगीत की तरह है, बस यह लयबद्ध नहीं है।
पार्कर सोलर प्रोब में एक यंत्र लगा है, जिसे फील्ड कहते हैं। यह सूर्य की मैग्नेटिक और इलेक्ट्रिक फील्ड को मापने के लिए प्रयोग में लिया जाता है। लेकिन शुक्र ग्रह के बगल से गुजरते समय सिर्फ 7 मिनट के अंदर इसने ग्रह से निकलने वाली प्राकृतिक रेडियो तरंग की आवाज में रिकॉर्ड कर ली और कुछ सिग्नल्स भी भेजें।
ग्लेन कालिनसन का कहना है कि जब उन्होंने इन आवाजों को देखो और सुना तो उन्हें ऐसा लगा कि 2003 में गैलीलियो आर्बिटर ने बृहस्पति ग्रह से कुछ ऐसे ही आवाजों के सिग्नल भेजे थे। शुक्र ग्रह के चारों तरफ पृथ्वी की तरह ही अलग-अलग गैसों के आवेशित कणों का घेरा बना हुआ है। ग्लेन और उनके साथी इन आवाजों और तरंगों से अब यह पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि शुक्र ग्रह के आयनोस्फेयर में क्या है?
आपको बता दें कि इससे पहले शुक्र ग्रह की जानकारी वैज्ञानिकों को 1992 में पायनियर वीनस आर्बिटर ने दी थी। उस वक्त सूर्य अपनी प्रचंड सीमा पर था और भयंकर गर्मी छोड़ रहा था। 1992 से लेकर अब तक हम शुक्र ग्रह के वायुमंडल का अध्ययन टेलिस्कोप से जरिए कर रहे थे लेकिन पिछले वर्ष जब पार्कर सोलर प्रोब शुक्र ग्रह के बगल से गुजरा उस वक्त सौर तूफान अपने निम्न स्तर पर था। जिससे यह पता चला कि शुक्र ग्रह का वायुमंडल बहुत ही पतला है जबकि इसके पहले के डाटा में यह कहा जा रहा था कि यह काफी घना और भारी है।
यूनिवर्सिटी ऑफ कोलोराडो के लैबोरेट्री ऑफ एटमॉस्फेरिक एंड स्पेस फिजिक्स की पोस्ट डॉक्टरोल शोधकर्ता और और इस स्टडी के लेखक रॉबिन रेमस्टेड ने कहा कि जब कई देश मिलकर एक ही जैसे आंकडे देने लगते हैं तो अपने कार्य पर भरोसा होने लगता है और आत्मविश्वास बनता है। लेकिन आप स्टडी का विषय यह है कि जब सूर्य का तूफान अपने चरम पर होता है तब शुक्र ग्रह का वायुमंडल काफी घना और भारी होता है वही जब सौर तूफानी निम्न होता है तो शुक्र ग्रह का वायुमंडल पतला हो जाता है।
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Sound up! 🔉 NASA’s Parker Solar Probe discovered a natural radio signal in Venus’ upper atmosphere during its closest-ever flyby of the planet! The data — sonified here — is helping scientists study the atmosphere of Earth’s less hospitable twin: https://t.co/PaKZ4TV0iT pic.twitter.com/Z6JgR3QKGv
— NASA Goddard (@NASAGoddard) May 3, 2021