दुनिया के लिए खतरा बन सकता है, आर्कटिक बर्फ की आखीरी परत में हुए 100 किमी लंबा छेद

100 km long hole in the last layer of ice

जिस तरह से पर्यावरण में बदलाव देखे जा रहे हैं, उसे देखते हुए सभी वैज्ञानिक दुनिया को लेकर बड़े ही चिंतित हैं। प्रकृति की तरफ से लगातार कुछ न कुछ ऐसे हादसे हो जा रहे हैं जो मानव के लिए काफी खतरनाक है। ऐसा ही एक बड़ा खतरा दुनिया पर मंडरा रहा है।

यह खतरा उत्तरी ध्रुव की तरफ से आ रहा है आर्कटिक के सबसे पुराने और सबसे मोटे बर्फ की परत में पिछले साल मई के महीने में एक छेद हो गया है और यह छेद वैज्ञानिकों के अनुसार दुनिया के लिए खतरनाक संकेत है। इसकी वजह से बर्फ की परत में दरारें भी देखी गई हैं आगे चलकर यह पिघलते-पिघलते टूट जाएगा। जिससे पूरी दुनिया में समुद्री जलस्तर बढ़ने का खतरा हो सकता है।

कनाडा के एल्समेयल आयरलैंड के उत्तर में स्थित इस बर्फ की मोटी परत में 2020 में द पॉलिनिया देखा गया। इसका मतलब एक बड़ा छेद या सुराग, जिसे जियोफिजिकल रिसर्च लेटर्स में हाल ही में प्रकाशित की गई।

यूनिवर्सिटी ऑफ टोरंटो मिसिसगुआ कि आर्कटिक रिसर्चर केंट मूर ने कहा कि अजमेर आइसलैंड के उत्तर में बर्फ की इतनी मोटी परत है कि उस पर किसी छेद का असर नहीं हो सकता उसे तोड़ना नामुमकिन है लेकिन इस इलाके में इतना बड़ा पॉलिनिया देखा गया है। यह काफी ज्यादा बढ़ा है, जिसकी वजह से बर्फ में दरारे पड़ रही हैं।

बर्फ की परत हर साल पिघलती है और हर साल वापस उतनी ही चल जाती है और बर्फ 13 फीट मोटी है तापमान की वजह बाल कटिंग की आखरी बार पर अब खतरा मंडरा रहा है मई 2020 में आखरी बर्फ का पूर्वी हिस्सा जो वांडेल सागर में है, वह अपना आधा हिस्सा गंवा चुका है और इसकी रिपोर्ट जुलाई 2021 में प्रकाशित की गई थी।

ग्रीनलैंड के साथ मिलकर आर्कटिक की जो बर्फ जमात के स्थाई प्रक्रिया है वह अब कमजोर पड़ रही है। इस सदी के अंत तक बर्फ अगर पूरी तरह से अगर पिघल जाता है तो जीवों की प्रजाति का अंत भी हो सकता है।

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