पुनर्जन्म यह शब्द सुनते ही हमारा ध्यान काल्पनिक कहानियों की ओर जाता है। लेकिन यह कल्पना नहीं हकीकत है। जिससे हम और आप दोनों अपना मुंह नहीं मोड़ सकते। यह कहानी है मृतक बिहारी लाल। जो पुनर्जन्म के बाद अब 27 साल के हो चुके हैं और अपनी पहली पत्नी के साथ दोबारा शादी करने जा रहे हैं।
आइए जानते हैं आखिर आजमगढ़ जिले के अमिलो गांव के मृतक बिहारी लाल के पुनर्जन्म का असली राज क्या है? इनके नाम के साथ मृतक शब्द इसलिए जोड़ा जा रहा है क्योंकि अपने पुनर्जन्म के बाद इन्होंने अपना नाम बिहारी लाल से बदलकर मृतक बिहारी लाल कर दिया है।
मृतक बिहारी लाल को सन् 1975 में आधिकारिक रूप से मृत घोषित कर दिया था। यह दुष्कर्म उनकी जमीन और संपत्ति को हड़पने के लिए उनके रिश्तेदारों और कुछ सरकारी अधिकारियों द्वारा किया गया था। तब से लेकर 18 साल तक बिहारीलाल खुद को आधिकारिक तौर पर जिन्दा साबित करने के लिए जद्दोजहद करते रहे। 30 जून 1994 में सरकारी तौर पर बिहारीलाल को जीवित घोषित कर दिया गया। तब से लेकर आज तक उन्होंने अपने नाम के आगे में मृतक शब्द जोड़ लिया है।
बिहारीलाल एक बार फिर सुर्खियों में है क्योंकि वह मानते हैं कि सरकारी तौर से अब वह 27 साल के हो चुके हैं और अब उनकी उम्र शादी के लिए उचित है, इसलिए वह अपनी 56 वर्षीय पत्नी कर्मी देवी से दोबारा शादी करने जा रहे हैं। इस शादी का उद्देश्य “जीवित मृतकों” की ओर हमारा ध्यान आकर्षित करना है। बिहारीलाल के तीन बच्चे हैं, जिसमें दो बेटियां और एक बेटा है। इन तीनों की शादी हो चुकी है।
बिहारीलाल मानते हैं कि हमारी सरकारी व्यवस्था में अभी भी बहुत से सुधार होना बाकी है, इसलिए बिहारी लाल ने अपने जैसे “जीवित मृतकों” का एक समूह बनाया है, जिससे वह उन लोगों की मदद कर सके।
बिहारी लाल की कहानी इतनी अनोखी है कि बॉलीवुड इंडस्ट्री भी इससे दूर नहीं रह पाई। फिल्म निर्माता सतीश कौशिक ने बिहारी लाल के जीवन पर एक फिल्म भी बनाई है। जिसमें पंकज त्रिपाठी ने बिहारी लाल का रोल अदा किया है, इस फिल्म का नाम “कागज” है।