जहां टोक्यो ओलंपिक 2020 में खिलाड़ी भारत का नाम रोशन करने में लगे हुए हैं। वहीं कुछ ऐसे भारतीय भी हैं जो अपनी छोटी सोच से भारत को हमेशा शर्मिंदा करते हैं।
आपको बता दें कि गूगल एक ऐसा सर्च इंजन है जहां हम कुछ भी खोज हो सकते हैं, लेकिन क्या किसी की जाति ढूंढना उचित है? जी हां, आपने सही सुना जाति, जहां पीवी सिंधु ने देश के लिए बैडमिंटन में ब्रोंज मेडल अपने नाम किया और एक बार फिर प्रशंसा की हकदार बनी। वही कुछ भारतीय गूगल पर कुछ अजीबोगरीब चीजें ढूंढने में लग गए।
आप जानना चाहते वह चीज क्या थी? लोगों ने पीवी सिंधु की जीत के बाद सबसे पहले उनकी जाति ढूंढना शुरू की। गूगल की मानें तो पीवी सिंधु की जाति ढूंढने में नंबर वन पोजिशन पर आंध्र प्रदेश रहा, वही तेलंगाना और कर्नाटक दूसरे और तीसरे स्थान पर बने रहे। बिहार और हरियाणा ने भी इनका साथ नहीं छोड़ा।
ऐसा पहली बार नहीं हो रहा है। रियो ओलंपिक 2016 में भी पीवी सिंधु की जीत के बाद लोगों ने उनकी जाति ढूंढना शुरू कर दी थी। आपको बता दें कि यह हादसा सिर्फ पीवी सिंधु के साथ नहीं बल्कि हाल ही में ब्रॉन्ज़ मेडल सिक्यॉर करने वाली लवलीना बोर्गोहेन के साथ भी दोहराया जा रहा है।
लवलीना के साथ यह हादसा दोगुना हो गया क्योंकि लोग उनकी जाति के साथ-साथ उनका धर्म जानने में भी उत्सुक है। गूगल की रिपोर्ट के मुताबिक सबसे ज्यादा उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र के लोगों ने लवलीना की जाति जाने की कोशिश की। वहीं असम, गोवा और पश्चिम बंगाल के लोगों ने उनका धर्म जानने में रुचि प्रकट की।
यह है भारत की नौजवान, जो खिलाड़ियों को प्रोत्साहित करने की बजाय उनकी जाति और धर्म के पीछे अपना वक्त जाया कर रहे हैं। वह यह कैसे भूल सकते हैं कि भारत के नागरिक की सिर्फ एक जाति होती है कि वह एक “भारतीय” है। इससे बड़ी कोई जाति और धर्म नहीं होती। जिसका हमें पूरे दिल से सम्मान करना चाहिए।