किसी का बेटा यदि मोदी सरकार मंत्री हो और उसके माता पिता खेतो में हल चला रहे है, इस बात पर शायद यकीन करना मुश्किल होगा। लेकिन यह बात सच है | आज हम आपको इसके बारे में बताने जा रहे है।
कोनूर (नमक्कल) में कड़ी धूप में 59 साल की एल वरुदम्मल एक खेत से खर-पतवार निकाल रही हैं। लाल साड़ी, चोली के ऊपर सफेद शर्ट पहने और सिर पर लाल गमछा लपेटे वरुदम्मल की सूरत किसी गांव में रहने वाली सामान्य महिला की तरह ही लग रही है, लेकिन हम आपको इसके बारे में बताना चाहते है।
यह एक केंद्रीय मंत्री के माता-पिता हैं। इनका बेटा एल मुरुगन इसी महीने केंद्र में राज्य मंत्री बना है, लेकिन यह अभी भी इसी खेत में काम करते हुए देखे जा सकते है।
खबर मिलने के बाद भी खेतों में डटे रहे
बेटे के मंत्री की खबर मिलने के बाद भी यह अपने खेतो में काम करते रहे। अरुणथथियार समुदाय से आने वाले ये दोनों नमक्कल के पास एजबेस्टास की छत वाली झोपड़ी में रहेते हैं। इनके पास स्वयं की जमींन भी नहीं है, यह कभी दुसरो के खेत में काम करते है, तो कभी कुली का काम करते हैं। बेटा केंद्रीय मंत्री है, इस बात से इतनी जिंदगी में कोई फर्क नहीं है। जब उन्हें पड़ोसियों से इस खबर का पता चला तब भी खेतों में काम कर रहे थे और खबर सुनने के बाद भी रुके नहीं।
बेटे पर नाज मगर खुद्दारी बरकरार
मार्च 2020 में जब मुरुगन को तमिलनाडु बीजेपी का प्रमुख बनाया गया था, तब उनका बेटा अपने माता-पिता से मिलने कोनूर आए थे। मुरुगन के साथ समर्थकों का जत्था और पुलिस सुरक्षा थी मगर माता-पिता ने बिना किसी शोर-शराबे के बड़ी शांति से बेटे का स्वागत किया। उन्हें उनके बेटे पर गर्व है, लेकिन उनकी अपने तरिके से स्वतंत्र रहनें की अपनी जिद है। पांच साल पहले छोटे बेटे की मौत हो गई थी, तब से बहू और बच्चों की जिम्मेदारी भी यही संभालते हैं।
दो-दो मंत्रालय का है प्रभार
मुरुगन के पास वर्तमान में दो मंत्रालय का प्रभार है। केंद्र में मत्स्य पालन, पशुपालन और सूचना तथा प्रौद्योगिकी मंत्रालय है। उन्हें इन दोनों में राज्य मंत्री बनाया गया है। वह इस साल विधानसभा चुनाव लड़े थे मगर डीएमके उम्मीदवार से हार गए।