बीते रविवार 25 जुलाई को फूलन देवी की पुण्यतिथि थी, इस मौके पर विकासशील इंसान पार्टी (VIP) ने यूपी के अलग-अलग जिलों में फूलन देवी की मूर्ति का अनावरण करने की योजना बनाई थी, लेकिन पुलिस ने मूर्ति जब्त कर ली और इस कारण आज फिर फूलन देवी का नाम चर्चा में आया है। हम आपको इसके बारे में आपको बताने जा रहे है की, फूलन देवी कौन थी।
कौन थीं फूलन देवी ?
फूलन देवी के बचपन की कहानी और उनकी बाद की कहानी में बहुत अंतर् है। जब फूलन देवी दस साल की लड़की, जो अपने बाप की जमीन के लिए लड़ गई थी। इनका बचपन में जब वह नाबालिग थी, तब पहले उसके बूढ़े ‘पति’ ने रेप किया, फिर श्रीराम ठाकुर के गैंग ने उनका रेप किया था, यह एक खतरनाक डाकू था, जिसने बेहमई गांव के 22 लोगों को लाइन में खड़ा कर मार दिया था। उसके बाद इनकी लाइफ बदल गयी थी। उस ‘चालाक’ औरत के रूप में, जो शुरू से ही डाकुओं के गैंग में शामिल होना चाहती थी, उसके बाद वह डाकू बन गयी थी।
दो डाकुओं को हुआ फूलन से प्रेम, एक की जान गई
जब फूलन देवी का साथ अन्य लोगो से होने लगा तब डाकुओं की गैंग से जुड़े हुए लोगो के साथ इनका घूमने फिरना रहा है। प्यार करने की वजह से कभी वह अपनी मर्जी से उनके साथ गई या फिर उन लोगों ने उन्हें उठा लिया। गैंग में फूलन के आने के बाद झंझट हो गई, सरदार बाबू गुज्जर फूलन पर आसक्त था. इस बात को लेकर विक्रम मल्लाह ने उसकी हत्या कर दी और सरदार बन बैठा। जिसके बाद फूलन विक्रम के साथ रहने लगी, एक दिन फूलन अपने गैंग के साथ अपने पति के गांव गई जहा पर उन्होंने पाने पति और उसकी बीवी की पिटाई की।
3 सप्ताह तक गैंगरेप और फिर 22 की हत्या ने बदला पूरा किया
जब यह गैंग में शामिल हो गयी तब ठाकुरों के एक गैंग से इनका सामना हुआ, जिन्होंने इनका रेप किया था। जो बाबू गुज्जर की हत्या से नाराज था और इसका जिम्मेदार फूलन को ही मानता था। ठाकुरों के गैंग ने फूलन को किडनैप कर बेहमई में 3 हफ्ते तक बलात्कार किया, यह सभी कुछ एक फिल्म ‘बैंडिट क्वीन’ में दिखाया गया है। यहां से छूटने के बाद फूलन डाकुओं के गैंग में शामिल हो गई और 1981 में फूलन बेहमई गांव लौटी. उसने दो लोगों को पहचान लिया, जिन्होंने उसका रेप किया था उसके बाद फूलन ने गांव से 22 ठाकुरों को निकालकर गोली मार दी थी।