अमेरिकी सेना ने कहा, बाग्राम एयरबेस को अलविदा… जानिए अमेरिका के लिए कितना महंगा रहा अफगानिस्तान?

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अफगानिस्तान से आतंकियों का सफाया करने के लिए अमेरिकी सेना पहुंची थी बाग्राम एयरपोर्ट और बनाया था अपना एयरबेस। यह घटना आज से 20 साल पुरानी है। लेकिन अब अमेरिकी सेना को करना पड़ रहा है, अफगानिस्तान के अपने सबसे बड़े सैन्य अड्डे को अलविदा। आइए जानते हैं कि आखिर इसकी वजह क्या है?

अमेरिकी एक्सपर्ट्स ने यह आशंका जताई है कि तालिबान एक बार फिर से अफगानिस्तान की राजधानी काबुल पर अपना कब्जा करने वाला है और एक बार फिर अलकायदा अफगानिस्तान में अपना सर उठाने जा रहा है।

अमेरिकी सेना ने बाग्राम एयरपोर्ट और एयरफील्ड को पूरी तरह से अफगानिस्तान की राष्ट्रीय सुरक्षा बल को सौंप दिया है। हालांकि, सैनिकों की सुरक्षा का अधिकार और सैन्य क्षमताएं अभी भी अमेरिकी सेना के शीर्ष कमांडर जनरल एस मिलर के पास है, लेकिन वो भी कुछ दिनों के लिए।

एक अफगानिस्तानी मिलिट्री अधिकारी ने इस बात की पुष्टि कर दी है कि बाग्राम एयरपोर्ट को अमेरिकी सेना ने पूरी तरह से खाली करना शुरू कर दिया है। अफगानिस्तानी न्यूज के मुताबिक काबुल से 69 किलोमीटर उत्तर दिशा में स्थित इस एयरपोर्ट से अमेरिकी सैनिकों को रवाना होते देखा गया है।

रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिकी सेना बाग्राम एयरपोर्ट पर बर्बाद हो चुके ट्रकों और दूसरे मलबों को छोड़ रही है। स्क्रैप व्यापारियों का कहना है कि करोड़ों रुपये का मलबा यूएस सैनिकों ने एयरपोर्ट पर छोड़ दिया। कुछ लोगों ने मांग की थी कि यूएस फोर्स को इस तरह के सामान अफगान सैनिकों के हवाले कर देनी चाहिए थी, लेकिन अमेरिकी सैनिकों ने आतंकियों के हाथ पड़ने के डर से उन्हें नष्ट कर दिया। वही अफगानिस्तान सरकार ने कहा है कि करीब 1 अरब डॉलर का सामान अमेरिकी फौज ने अफगान फौजियों के हवाले किया है। आपको बता दें कि बाग्राम एयरफील्ड पिछले 20 सालों में अफगानिस्तान में अमेरिकी सेना का सबसे बड़ा एयरबेस रहा है। अमेरिकी सेना ने 1 मई को वापसी शुरू की थी और 11 सितंबर से पहले अमेरिकी सैनिकों को अफगानिस्तान से बाहर निकल जाना है।

सितंबर 2001 के हमलों के बाद अमेरिकी फौज ने अफगानिस्तान की सत्ता पर काबिज तालिबान से जिम्मेदार आतंकियों को सौंपने के लिए कहा था। लेकिन, तालिबान ने ऐसा करने से इनकार कर दिया था। जिसके बाद अमेरिका और नाटो सेना ने अफगानिस्तान पर हमला कर दिया था, वहीं, अफगानिस्तान में मौजूद तालिबान विरोधी गुट ने अमेरिकी और ब्रिटिश फौज की जबरदस्त मदद की थी। जिसके बाद पश्चिमी देशों की फौज ने सत्ता से तालिबान को हटा दिया और फिर अलकायदा को पाकिस्तान की सीमा पर खदेड़ते हुए बाद में ओसामा बिन लादेन को भी मौत के घाट उतार दिया था। लेकिन जब से अमेरिकी सेना ने बाग्राम रवाना होने की अपनी जानकारी दी है। तब से एक बार फिर तालिबान काफी तेजी से अफगानिस्तान में अपना विस्तार कर रहा है। तेजी से पांव फैलाता तालिबान

हाल ही में अफगानिस्तान के लिए संयुक्त राष्ट्र के विशेष दूत डेबरा लियोन ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद को चेतावनी दी थी कि अगर तालिबान को नहीं रोका गया, तो वह पहले की तरह अफगानिस्तान के अधिकांश हिस्से पर कब्जा कर लेगा। रिपोर्ट के मुताबिक अगर तालिबान दोबारा सत्ता में आता है तो यहां की महिलाओं को फिर अपने घरों में कैद रहना पड़ सकता है।

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